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    होम / खबरें / टेक्नोलॉजी की खबरें / क्या होता है इंटरनेट ब्राउजर का इनकॉग्निटो मोड और यह कैसे काम करता है?
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    क्या होता है इंटरनेट ब्राउजर का इनकॉग्निटो मोड और यह कैसे काम करता है?
    लगभग सभी ब्राउजर्स में प्राइवेट या इनकॉग्निटो मोड मिलता है।

    क्या होता है इंटरनेट ब्राउजर का इनकॉग्निटो मोड और यह कैसे काम करता है?

    लेखन प्राणेश तिवारी
    Sep 20, 2021
    10:38 am

    क्या है खबर?

    इंटरनेट रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन चुका है और पर्सनल प्राइवेसी को महत्व देने वाले भी बढ़े हैं।

    गूगल क्रोम, मोजिला फायरफॉक्स और ऐपल सफारी दुनिया के सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले इंटरनेट ब्राउजर्स में शामिल हैं।

    ब्राउजिंग के दौरान 'इनकॉग्निटो मोड' का विकल्प भी यूजर्स को दिया जाता है, जिसमें बेहतर प्राइवेसी देते हुए यूजर्स का डाटा सेव नहीं किया जाता।

    आइए जानते हैं कि इनकॉग्निटो मोड क्या है और कैसे काम करता है।

    मोड

    क्या होता है इनकॉग्निटो मोड?

    लगभग सभी बड़े इंटरनेट ब्राउजर्स में यूजर्स को एक खास 'इनकॉग्निटो मोड' मिलता है।

    जब यूजर्स इनकॉग्निटो मोड में इंटरनेट ब्राउज करते हैं तो उनके सेशन डिवाइस में रिकॉर्ड या सेव नहीं किए जाते।

    हालांकि, यह मोड पूरी तरह सुरक्षित नहीं है और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स, हैकर्स और स्नूपर्स यूजर्स का डाटा चोरी करने की कोशिश कर सकते हैं।

    इस मोड में यूजर्स का डाटा सेव ना होने के चलते उनकी ट्रैकिंग सामान्य ब्राउजिंग के मुकाबले कम होती है।

    तरीका

    कैसे काम करता है इनकॉग्निटो मोड फीचर?

    यूजर्स को इनकॉग्निटो या प्राइवेट मोड के साथ ब्राउजिंग की सलाह तब दी जाती है, जब उन्हें अपना डाटा ब्राउजर में स्टोर नहीं करना होगा।

    यानी की यूजर की ओर से किए गए सर्च, विजिट किए गए पेज, लॉगिन डीटेल्स और कुकीज प्राइवेट विंडो बंद करने पर डिवाइस और ब्राउजर में सेव नहीं होते।

    हालांकि, इस मोड में डाउनलोड की गईं फाइल्स और सेव किए गए बुकमार्क्स जरूर सेव किए जाते हैं।

    ट्रैकिंग

    हर ब्राउजर में अलग होता है ट्रैकिंग का तरीका

    गूगल क्रोम, मोजिला फायरफॉक्स और माइक्रोसॉफ्ट एज जैसे ब्राउजर्स क्रोमियम इंजन पर आधारित हैं और इनमें एक टैब का डाटा दूसरे के साथ शेयर होता है।

    वहीं, सफारी ब्राउजर ऐपल के इकोसिस्टम का हिस्सा है, इसमें एक टैब में एंटर किया डाटा दूसरे के साथ शेयर नहीं किया जाता।

    उदाहरण के लिए, क्रोम में एक टैब में जीमेल लॉगिन करने पर, दूसरे टैब में यह अपने आप लॉगिन हो जायेगा। लेकिन सफारी में हर टैब में अलग लॉगिन करना पड़ेगा।

    वजह

    यूजर्स को क्यों ट्रैक करते हैं ब्राउजर्स?

    इंटरनेट वेबसाइट्स पर यूजर्स की ऐक्टिविटी अलग-अलग तरीकों से ट्रैक की जाती है।

    IP एड्रेस यूजर की पहचान होता है और इसकी मदद से उसका ब्राउजिंग डाटा एनालाइज किया जा सकता है।

    ऐसा करने की वजह यूजर्स को पर्सनलाइज्ड ऐड दिखाने से जुड़ी होती है और यूजर्स को उन चीजों के बारे में ऐड दिखाए जाते हैं, जिनके बारे में उन्होंने वेब पर सर्च किया होता है।

    ये ऐड्स ही ज्यादातर वेबसाइट्स की कमाई का सबसे बड़ा जरिया होते हैं।

    सुरक्षा

    हैकर्स या अटैक्स से सुरक्षा नहीं देगा इनकॉग्निटो

    समझना जरूरी है कि इनकॉग्निटो मोड का काम अतिरिक्त सुरक्षा लेयर ऐड करना नहीं है।

    यह मोड विंडो बंद करने पर कुकीज और ब्राउजिंग हिस्ट्री जरूर डिलीट कर देता है, लेकिन यूजर का इंटरनेट ट्रैफिक थर्ड-पार्टीज से नहीं छुपाता।

    इन थर्ड-पार्टीज में आपका इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर, सरकार या ऑफिस और यूनिवर्सिटी का नेटवर्क एडमिन शामिल हो सकते हैं।

    इसके अलावा हैकर्स और दूसरे खतरों से यह मोड अतिरिक्त सुरक्षा नहीं देता है।

    सीमाएं

    इनकॉग्निटो मोड की हैं कुछ सीमाएं

    इनकॉग्निटो या प्राइवेट ब्राउजिंग मोड के साथ ब्राउजर यूजर का ट्रैफिक रिकॉर्ड करना बंद कर देता है, लेकिन IP एड्रेस हाइड नहीं करता।

    यानी कि यूजर को IP एड्रेस से जुड़े टूल का इस्तेमाल कर ट्रैक किया जा सकता है।

    अपने ट्रैफिक रूप एनक्रिप्ट करने और पहचान छुपाने के लिए यूजर्स वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) सेवाओं की मदद ले सकते हैं।

    इनकी मदद से पहचान यानी कि IP एड्रेस छुपाया जा सकता है।

    तरीका

    ऐसे ऐक्टिवेट कर सकते हैं 'इनकॉग्निटो मोड'

    अलग-अलग इंटरनेट ब्राउजर्स में प्राइवेट विंडो या इनकॉग्निटो विंडो ऐक्टिवेट करने का तरीका अलग-अलग हो सकता है।

    गूगल क्रोम और ऐपल सफारी में कंट्रोल+शिफ्ट+N कमांड देकर यह मोड ऐक्टिवेट किया जाता है और ड्रॉप डाउन मेन्यू में भी यह विकल्प मिल जाता है।

    फायरफॉक्स और इंटरनेट एक्सप्लोरर में कंट्रोल+शिफ्ट+P कमांड देकर या मेन्यू में जाकर इनकॉग्निटो मोड ऐक्टिवेट किया जा सकता है।

    स्मार्टफोन ब्राउजर्स में भी यूजर्स को इनकॉग्निटो मोड का विकल्प दिया जाता है।

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