'नकली' सूरज के बाद चीन ने बनाया अपना 'नकली' चांद, करेंगे अंतरिक्ष से जुड़े प्रयोग
अंतरिक्ष हमेशा से ही वैज्ञानिकों को लुभाता रहा है और चाइनीज वैज्ञानिक दूसरे देशों को पीछे छोड़ रहे हैं। चीन पहले ही एक कृत्रिम सूरज तैयार कर चुका है और अब यहां वैज्ञानिकों ने एक नकली चांद तैयार किया है। इस कृत्रिम चांद की मदद से वैज्ञानिक पृथ्वी के उपग्रह का माहौल प्रयोगशाला में तैयार कर पाएंगे और सौर मंडल को समझ सकेंगे। करीब दो फीट या 60 सेंटीमीटर व्यास वाले इस चांद पर गुरुत्वाकर्षण शून्य कर दिया जाएगा।
अपनी तरह का दुनिया का पहला प्रयोग
कृत्रिम चांद को जियांगसू क्षेत्र के जुझोऊ शहर में रखा गया है और इस साल आधिकारिक रूप से लॉन्च किया जाएगा। चाइना यूनिवर्सिटी ऑफ माइनिंग एंड टेक्नोलॉजी में जियोटेक्निकल इंजीनियर ली रूइलिन ने इस चैंबर को अपनी तरह का 'दुनिया का पहला प्रयोग' बताया है। इस फैसेलिटी में लंबे वक्त तक कम गुरुत्वाकर्षण की स्थिति पैदा की जा सकती है। रूइलिन ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से बताया कि कई प्रयोग करने में कुछ दिनों का वक्त लगता है।
अनोखे प्रोजेक्ट के लिए कहां से मिली प्रेरणा?
रिसर्चर्स ने कहा है कि उन्हें यूनाइटेड किंगडम में यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर के फिजिसिस्ट आंद्रे गीइम की ओर से बनाए गए चैम्बर से प्रेरणा मिली। गीइम को साल 2000 में एक प्रयोग के लिए नोबेल पुरस्कार मिल चुका है, जिसमें उन्होंने चुंबक की मदद से एक मेंढक को शून्य-गुरुत्वाकर्षण जैसी स्थिति पैदा कर उड़ाया था। माइक्रोग्रेविटी या गुरुत्वाकर्षण में बदलाव कर समझा जा सकता है कि अंतरिक्ष में कैसी परिस्थितियां पैदा हो सकती हैं।
आइए डायमैग्नेटिक लैविटेशन को समझें
गुरुत्वाकर्षण में बदलाव कर आसपास की चीजों को उड़ाने की प्रक्रिया डायमैग्नेटिक लैविटेशन कहलाती है। हर परमाणु में मौजूद इलेक्ट्रॉन्स की गति के चलते चुंबकीय ऊर्जा पैदा होती है। अगर कोई बाहरी चुंबकीय ऊर्जा इस परमाणु से टकराए तो इलेक्ट्रॉन्स का बाहरी ऊर्जा से संघर्ष शुरू होता है और इस तरह गुरुत्वाकर्षण में बदलाव किया जा सकता है। यहीं पर लैविटेशन शुरू होता है और शून्य गुरुत्वाकर्षण का अनुभव पृथ्वी पर ही किया जा सकता है।
पहले ही नकली सूरज बना चुका है चीन
चीन के पास पहले ही एक कृत्रिम सूरज है, जिसकी मदद से देश की ऊर्जा से जुड़ी जरूरतें पूरी की जा सकती हैं। एक्सपेरिमेंटल एडवांस्ड सुपरकंडक्टिंग टोकामाक (EAST) नाम के इस सूरज ने बीते दिनों असली सूरज से पांच गुना ज्यादा तापमान पैदा किया। इस सूरज ने 1,056 सेकेंड तक करीब सात करोड़ डिग्री तापमान पैदा किया और ऐसा लगातार कर पाने की स्थिति में यह चीन के बड़े हिस्से को असली सूरज की तरह रोशनी और गर्मी दे सकेगा।
अंतरिक्ष प्रोग्राम में मिलेगी मदद
चाइनीज वैज्ञानिकों की ओर से किए जा रहे प्रयोगों से अंतरिक्ष खोजी प्रोग्राम चांग-ई में मदद मिलेगी। चीन ने अपने चांग-ई 4 प्रोजेक्ट के साथ 2019 में चांद पर एक रोवर भेजा था। इसके सक्सेसर के तौर पर चांग-ई 5 2020 में चांद की सतह से पत्थरों के नमूने इकट्ठा करने में सफल रहा। चीन ने साल 2029 तक चांद पर लूनर रिसर्च स्टेशन बनाने का लक्ष्य भी रखा है।
न्यूजबाइट्स प्लस
नकली सूरज या टोकामाक से जुड़ा प्रयोग सबसे पहले रूसी वैज्ञानिक नैटन यावलसिन्की ने 1958 में किया था। अब चीन के अलावा फ्रांस भी इससे जुड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है और दक्षिण कोरिया में ऐसा सफल प्रयोग कर चुका है।