चीन ने अब अरुणाचल प्रदेश में बढ़ाई गतिविधि, भारत ने चौकस की निगाहें- शीर्ष कमांडर
क्या है खबर?
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के बीच पिछले 17 महीनों से चल रहा तनाव अभी खत्म भी नहीं हुआ कि अब चीन ने LAC के पूर्वी क्षेत्र यानी अरुणाचल प्रदेश में अपनी गतिविधियों को बढ़ा दिया है।
चीन ने वहां की विवादित सीमा पर अपने सैन्य अभ्यास के स्तर और अवधि को बढ़ा दिया है।
पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ने इसकी जानकारी देते हुए चीन के रुख पर चिंता जताई है।
हकीकत
पिछले साल से ही पूर्वी सीमा पर तैनात है चीनी सैनिक- पांडे
इंडिया टुडे के अनुसार, जनरल पांडे ने कहा, "चीन की सेना पिछले साल से ही सीमा पर तैनात है। उसने अपने वार्षिक प्रशिक्षण अभ्यासों और डेप्थ एरिया में भी इजाफा किया है।"
उन्होंने कहा, "दोनों पक्ष LAC के करीब बुनियादी ढांचे को विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं।जिसकी वजह से कई बार विवाद होने की संभावना रहती है। हालांकि, ये बुनियादी ढांचे LAC के करीब हैं। ऐसे में सैनिकों की संख्या में भी मामूली वृद्धि हुई है।"
तैयारी
"भारतीय सेना ने किए है जवाबी उपाय"
जनरल पांडे ने कहा, "चीनी सेना के अभ्यास का फोकस उसके बलों द्वारा एकीकृत अभियानों पर रहा है। भारतीय सेना ने भी LAC के आसपास के घटनाक्रम को देखते हुए किसी भी आकस्मिकता से निपटने और अपनी क्षमताओं को मजबूत करने के लिए काउंटर उपाय किए हैं।"
उन्होंने कहा, "भारतीय सेना ने लंबी दूरी की निगरानी के लिए ड्रोन, रडार और नाइट विजन क्षमताओं में इजाफा कर अपने निगरानी कौशल को मजबूत किया है।"
दावा
किसी भी परिस्थिति से लड़ने के लिए तैयार है भारतीय सेना- पांडे
जनरल पांडे ने कहा, "हमने किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए सभी क्षेत्रों में पर्याप्त बल तैनात किए हैं। हम आकस्मिकताओं के लिए पूर्वाभ्यास और तैयारी भी कर रहे हैं। कम तैनाती वाले कुछ क्षेत्रों की मजबूती पर ध्यान दिया जा रहा है।"
उन्होंने कहा, "मैं गश्त करने वाले हमारे कमांडरों की भूमिका को महत्वपूर्ण मानता हूं, क्योंकि उन्होंने दूसरी तरफ के कमांडरों के साथ समझ विकसित की है और विवाद होने पर हल निकालने का प्रयास करते हैं।"
तनाव
सेना के लिए चिंता का विषय रहा है पिछला डेढ़ साल- पांडे
जनरल पांडे ने कहा कि सिक्किम में नाथूला पास जैसे कुछ क्षेत्रों में अधिक चीनी सैनिकों को देखा गया है, जहां हाल के दिनों में गश्त के दौरान दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हुए हैं।
उन्होंने कहा कि सेना ने सीमा के करीब निगरानी बढ़ाई है। पिछला डेढ़ साल सेना के लिए बड़ी चिंता का विषय रहा है। पूर्वी कमान ने किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए अपनी तैयारियों के स्तर और क्षमता को बढ़ाया है।
पृष्ठभूमि
अप्रैल 2020 में शुरू हुआ था भारत और चीन के बीच विवाद?
बता दें कि अप्रैल 2020 में चीन ने पूर्वी लद्दाख और अन्य इलाकों में हथियारों के साथ सैनिकों की तैनाती कर दी थी।
उसके बाद गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स इलाकों में दोनों सेनाएं आमने-सामने आ गई थी। 15 जून की रात तनाव हिंसा में बदल गया था।
इसी खूनी संघर्ष में भारत के 20 जवान शहीद हुए तो कई चीनी सैनिकों की मौत हो गई थी। उसके बाद से शांति के लिए वार्ताओं का दौर जारी है।
असहमति
चीन ने भारत के सुझावों पर जताई असहमति
भारत और चीन के बीच तनाव को कम करने के लिए कोर कमांडर स्तर की 13 वार्ताएं हो चुकी है।
फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिकों तथा हथियारों की वापसी का समझौता हुआ था। उसके बाद डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया को पूरा कर लिया था। हालांकि, हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और डेपसांग जैसे क्षेत्रों में गतिरोध बरकरार है।
10 अक्टूबर को हुई 13वें दौर की वार्ता में चीन ने भारतीय सेना के सुझावों पर असहमति जताई थी।