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    खोए पालतू जानवर खोजना अब आसान, AI और फेस रेकग्निशन इस्तेमाल कर रही है ऐप
    पालतू जानवरों को खोजने के लिए ऐप AI और मशीन लर्निंग की मदद लेती है।

    खोए पालतू जानवर खोजना अब आसान, AI और फेस रेकग्निशन इस्तेमाल कर रही है ऐप

    लेखन प्राणेश तिवारी
    Nov 22, 2021
    10:00 pm

    क्या है खबर?

    पालतू जानवरों और खासकर कुत्तों को इंसान का सबसे अच्छा और वफादार साथी माना जाता है।

    हालांकि, हर साल अलग-अलग वजहों से ढेरों पालतू जानवर अपने ओनर से अलग हो जाते हैं और खो जाते हैं।

    इमरजेंसी डीटेल्स वाली कॉलर ऐसे में मददगार साबित हो सकती है लेकिन यह तरीका भी फुलप्रूफ नहीं है।

    एडवांस AI टेक्नोलॉजी अब खोए हुए पालतू जानवर खोजना पहले से कहीं आसान बना रही है और फेस रेकग्निशन की मदद ले रही है।

    टूल

    खास टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है ForPAWS

    मार्स इनकॉर्पोरेट की ओर से फॉरपॉज (ForPAWS) नाम का खास फेस रेकग्निशन टूल तैयार किया गया है, जो एडवांस्ड टेक्नोलॉजी की मदद ले रहा है।

    इसकी मदद से खोए हुए पालतू जानवरों को वापस उनके घर पहुंचाया जाएगा।

    इस ऐप के वाइड रोलआउट से पहले पेट न्यूट्रीशियन के ग्लोबल डिजिटल मार्केटिंग लीड मोहित अरोड़ा ने बताया है कि किस तरह पालतू जानवरों के लिए फेशियल रेकग्निशन संभव होगा और आज की दुनिया में ऐसे टूल की जरूरत क्यों है।

    जरूरत

    इसलिए जरूरी है फॉरपॉज जैसा टूल

    मोहित अरोड़ा ने कहा, "फॉरपॉज के साथ हम तय कर रहे हैं कि पालतू जानवरों के परिवार को जरूरत पर मदद मिल सके और वे अपने पालतू जानवर की लोकेशन पता कर उसे वापस ला सकें। शुरुआत में हम केवल पालतू कुत्तों के लिए ऐसा कर रहे हैं लेकिन जल्द बिल्लियों के लिए यह मॉड्यूल रोलआउट किया जाएगा।"

    उन्होंने बताया कि फॉरपॉज को केवल एक फोटो और स्मार्टफोन की जरूरत पालतू कुत्ते की यूनीक ID बनाने के लिए पड़ती है।

    तरीका

    ऐसे काम करता है फॉरपॉज का सिस्टम

    खोए जानवर का पता लगाने के लिए फॉरपॉज टूल मशीन लर्निंग की मदद लेता है और बड़े डाटाबेस से किसी पालतू कुत्ते के चेहरे की डीटेल्स स्कैन कर मिलाता है।

    मशीन लर्निंग दरअसल आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस आधारित सिस्टम होता है, जिसमें सॉफ्टवेयर टूल फाइनल रिजल्ट्स तय करते हैं।

    फॉरपॉज के डाटाबेस में ढेरों यूनीक पेट IDs स्टोर होती हैं, जिन्हें यूजर्स की ओर से रजिस्टर किया जाता है।

    यह सिस्टम किसी स्कूल, कॉलेज या ऑफिस के ID रिकॉर्ड्स जैसा होता है।

    प्रोसेस

    बेहद आसान है पेट ओनर पता लगाने की प्रक्रिया

    अगर किसी फॉरपॉज यूजर को खोया हुआ जानवर मिलता है, तो उसे केवल ऐप की मदद से उसका चेहरा स्कैन करना होता है।

    इसके बाद पालतू जानवर और उसके परिवार से जुड़ी जानकारी स्क्रीन पर आ जाती है।

    हालांकि, इसके लिए जरूरी है कि जानवर की यूनीक ID को फॉरपॉज के डाटाबेस में रजिस्टर किया गया हो और इसका हिस्सा बनाया गया हो।

    मशीन लर्निंग सिस्टम 130 ब्रीड्स के 2,000 यूनीक कुत्तों को पहचान सकता है।

    ऐप

    एंड्रॉयड यूजर्स के लिए उपलब्ध है ऐप

    फॉरपॉज ऐप अभी केवल एंड्रॉयड यूजर्स के लिए उपलब्ध है और बेंगलुरू में अपनी सेवाएं दे रही है।

    कंपनी की कोशिश इसे भारत के अलावा दूसरे देशों और देश के दूसरे बड़े शहरों में ले जाने और ज्यादा यूजर्स तक पहुंचाने की है।

    माना जा रहा है कि इस ऐप से ज्यादा यूजर्स के जुड़ने के साथ-साथ इसके काम करने का तरीका बेहतर होगा।

    ज्यादा यूनीक IDs रजिस्टर होने से मशीन लर्निंग सिस्टम भी बेहतर हो जाएगा।

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