हर 100 में से 18 भारतीय होते हैं डाटा लीक का शिकार, सामने आई रिपोर्ट
साल 2004 में भारत में पहली बार डिजिटल अटैक्स की बात सामने आई थी, जिसके बाद से ऐसे अटैक्स लगातार बढ़ते गए हैं। साइबर सुरक्षा कंपनी सर्फशार्क ने बताया है कि यूजर्स डाटा लीक होने के मामले में भारत छठी पोजीशन पर पहुंच चुका है। रिपोर्ट की मानें तो हर 100 में से 18 भारतीय यूजर्स की पर्सनल जानकारी लीक हुई है। सामने आया है कि भारतीय यूजर्स साइबर सुरक्षा के लिए जरूरी मानकों का पालन नहीं करते।
क्या हैं सर्फशार्क की रिपोर्ट के मायने?
सर्फशार्क की रिपोर्ट ऐसे वक्त आई है, जब सरकार की ओर से नए साइबर सुरक्षा नियम जारी किए गए हैं। इन नियमों में वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) प्रोवाइडर्स से यूजर्स का डाटा पांच साल तक सेव रखने के लिए कहा गया है। हालांकि, ऐसा ना कर पाने के चलते एक्सप्रेस VPN और खुद सर्फशार्क ने भी भारतीय मार्केट में अपने सर्वर बंद कर दिए हैं। इस तरह VPN के साथ मिलने वाली अतिरिक्त प्राइवेसी अब यूजर्स को नहीं मिलेगी।
न्यूजबाइट्स प्लस
वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क या VPN यूजर्स को सुरक्षित ब्राउजिंग अनुभव देने के लिए उसके IP एड्रेस को मास्क कर देता है। इसके बाद डाटा को दूसरे एनक्रिप्टेड रूट से भेजा और रिसीव किया जाता है, जिससे थर्ड-पार्टी को सोर्स का पता नहीं चल पाता।
करीब 15 अरब अकाउंट डीटेल्स हुए लीक
सर्फशार्क ने बताया है कि साल 2004 से अब तक 14.9 अरब अकाउंट डीटेल्स ऑनलाइन लीक हुए हैं और इनमें से 25.49 करोड़ भारतीय यूजर्स से जुड़े थे। साल 2022 की पहली तिमाही में भी हर मिनट 304 अकाउंट्स का डाटा लीक हुआ। वहीं, मौजूदा तिमाही में ऐसे लीक्स की दर 6.7 प्रतिशत तक बढ़ गई है। भारत में जून, 2022 तक इस तिमाही में डाटा लीक की दर साल की पहली तिमाही के मुकाबले 740 प्रतिशत ज्यादा है।
इतने डाटा पॉइंट्स गंवाते हैं भारतीय यूजर्स
सामने आया डाटा दिखाता है कि हर लीक्ड अकाउंट के साथ भारतीय यूजर्स 3.8 डाटा पॉइंट्स गंवाते हैं, वहीं ग्लोबल औसत की बात करें तो यह आंकड़ा 2.3 पॉइंट्स का है। डाटा पॉइंट्स दिखाते हैं कि अकाउंट्स में यूजर्स का कितना डाटा सेव था, जो लीक हो गया है। भारत में ऑनलाइन सेवाएं और ऐप्लिकेशंस यूजर्स का ढेर सारा डाटा जुटाती हैं, जो ज्यादा डाटा पॉइंट्स लीक होने की वजह हो सकती है।
प्राइवेसी से जुड़े नियमों और स्टैंडर्ड्स की कमी
साइबर सुरक्षा फर्म का मानना है कि भारत में प्राइवेसी से जुड़े नियमों का कमजोर होना डाटा लीक होने, बेचे जाने और दोबारा गलत ढंग से इस्तेमाल किए जाने के लिए जिम्मेदार है। भारत में टेक इंडस्ट्री का तेजी से विस्तार हुआ है, लेकिन दूसरे देशों की तुलना में यहां डाटा सुरक्षा से जुड़े स्टैंडर्ड्स कमजोर दिखते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा नियम और कानून पुराने को चुके हैं और इनमें बदलाव किए जाने की जरूरत है।
भारत में VPN सेवाओं से जुड़े नियमों पर टिप्पणी
नए नियमों में भारत सरकार ने VPN सेवाएं इस्तेमाल करने वाले यूजर्स के नाम, एड्रेस, कॉन्टैक्ट नंबर, ईमेल और IP एड्रेस जैसी जानकारी कंपनियों से सेव करने को कहा है। सर्फशार्क में हेड ऑफ लीगल, गेटिस मालिनाउस्कस ने कहा कि ऐसा करना लाखों VPN यूजर्स की प्राइवेसी को खतरे में डाल देगा। उन्होंने कहा, "आखिरकार, बिना किसी सुरक्षा मैकेनिज्म के भारत में यूजर्स का डाटा इकट्ठा किया जाना और लीक्स की वजह बनेगा।"
इन बातों का ध्यान रखें आप
तेजी से बढ़ रहे डाटा लीक, ऑनलाइन फ्रॉड और साइबर अपराध के दौर में जरूरी है कि अपना पर्सनल डाटा पब्लिक प्लेटफॉर्म्स पर शेयर ना करें। इसके अलावा किसी भी कॉल पर भरोसा करने से पहले उसकी सत्यता जांच लें। अपने डिवाइस में कोई अनजान ऐप इंस्टॉल ना करें और ना ही किसी के साथ वन-टाइम-पासवर्ड (OTP) शेयर करें। तय करें कि आपका पर्सनल और सेंसिटिव डाटा पूरी तरह आपके नियंत्रण में रहे और चोरी ना किया जा सके।