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    पॉलिटिकल हफ्ता: उत्तर प्रदेश का जाति का गणित और क्यों निर्णायक साबित हो सकते हैं OBC?
    उत्तर प्रदेश का जातीय समीकरण

    पॉलिटिकल हफ्ता: उत्तर प्रदेश का जाति का गणित और क्यों निर्णायक साबित हो सकते हैं OBC?

    लेखन मुकुल तोमर
    Jan 12, 2022
    09:02 pm

    क्या है खबर?

    2014 में राष्ट्रीय पटल पर नरेंद्र मोदी के उदय के बाद जब जातिगत समीकरण टूटने लगे तो इसे मंडल राजनीति के अंत की तरह देखा गया, लेकिन जाति भारतीय समाज की वो सच्चाई है जिसे राजनीति चाहकर भी नहीं नकार सकती।

    उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से मंडल राजनीति हावी है और सभी पार्टियां जातिगत समीकरण साधने में लगी हुई हैं।

    आइए जानते हैं राज्य में क्या जातीय समीकरण हैं और कौन निर्णायक भूमिका अदा कर सकता है।

    आबादी

    उत्तर प्रदेश में किस जाति की कितनी आबादी?

    उत्तर प्रदेश की आबादी में ब्राह्मणों की 11 प्रतिशत, ठाकुरों की सात प्रतिशत और वैश्यों की 3.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है, यानि राज्य में सवर्ण जातियों का कुल वोटबैंक लगभग 21-22 प्रतिशत है।

    राज्य में दलितों की आबादी लगभग 20 प्रतिशत है, वहीं 42-43 प्रतिशत आबादी अन्य पिछली जातियों (OBC) की है।

    उत्तर प्रदेश में लगभग 19 प्रतिशत मुस्लिम हैं और वे 2017 से पहले राज्यों के चुनाव में अहम भूमिका अदा करते रहे हैं।

    वोटिंग चलन

    किस पार्टी को मिलता है किसका वोट?

    इस चुनाव में मुख्य टक्कर भाजपा और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच मानी जा रही है।

    इन पार्टियों के वोटबैंक की बात करें तो सवर्ण जातियां पिछले कुछ समय से पारंपरिक तौर पर भाजपा का साथ देती रही हैं। इसके अलावा भाजपा दलितों में गैर-जाटव (11 प्रतिशत) वोटबैंक में सेंधमारी करने में भी कामयाब रही है।

    दूसरी तरफ सपा को यादव (9-10 प्रतिशत) और मुस्लिम (19 प्रतिशत) समुदाय का वोट बड़ी मात्रा में मिलता रहा है।

    गैर-यादव OBC

    क्यों निर्णायक साबित हो सकते हैं गैर-यादव OBC वोट?

    अपने पारंपरिक वोटबैंक के आधार पर भाजपा और सपा दोनों 25-30 प्रतिशत वोट हासिल कर सकती हैं, ऐसे में बचा हुआ गैर-यादव OBC वोटबैंक निर्णायक हो जाता है।

    राज्य की लगभग एक-तिहाई आबादी (32-33 प्रतिशत) है और इनमें जाट, राजभर, कुर्मी और कुशवाहा जैसी कई जातियां आती हैं।

    भाजपा पिछले चुनाव में इस वोटबैंक के एक बड़े हिस्से (58 प्रतिशत) पर कब्जा करने में कामयाब रही थी और इसने उसकी बड़ी जीत में निर्णायक भूमिका निभाई थी।

    OBC वोटबैंक

    OBC जातियों के रण में कौन जीत रहा?

    OBC वोटबैंक की इसी निर्णायक भूमिका को ध्यान में रखते हुए भाजपा और सपा दोनों उन्हें अपनी तरफ करने की कोशिश कर रहे हैं।

    अभी तक सपा इसमें ज्यादा सफल नजर आ रही है और उसने कई OBC पार्टियों के साथ गठबंधन करके एक अच्छा-खासा वोटबैंक जुटा लिया है।

    इनमें जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल (RLD), ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP), नोनिया समुदाय की जनवादी सोशलिस्ट पार्टी (JSP) और कुर्मियों की अपना दल (कमेरावादी) शामिल हैं।

    समीकरण

    सपा को किन-किन OBC का वोट मिलने की उम्मीद?

    सपा प्रमुख अखिलेश यादव को उम्मीद है कि वो SBSP के साथ गठबंधन करके चार प्रतिशत राजभर वोट JSP के साथ गठबंधन करके दो प्रतिशत और RLD के साथ गठबंधन करके 2.5 प्रतिशत जाट वोटों को अपनी तरफ करने की कोशिश की है।

    RLD के साथ गठबंधन निर्णायक साबित हो सकता है क्योंकि उसका पश्चिमी उत्तर प्रदेश की लगभग 40 सीटों पर दबदबा है।

    इसके अलावा सपा की चार प्रतिशत वोट शेयर वाले निषाद समुदाय पर भी नजर है।

    भाजपा

    कौन से OBC समुदाय भाजपा की तरफ?

    भाजपा ने भी OBC समुदायों को अपनी तरफ खींचने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। पार्टी का अपना दल से गठबंधन है जो पांच प्रतिशत वोट शेयर वाले कुर्मियों की एक बड़ी पार्टी है।

    स्वर्गीय कल्याण सिंह का लोध समुदाय (3.5 प्रतिशत) भी भाजपा का साथ दे सकता है।

    छह प्रतिशत कुशवाहा वोटबैंक भी हाल तक पूरी तरह भाजपा के साथ था, लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद इसमें से एक बड़ा हिस्सा छिटक सकता है।

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