हाथरस मामला: भाजपा IT प्रमुख ने शेयर किया पीड़िता का वीडियो, बढ़ सकती हैं मुश्किलें
हाथरस मामले में किये एक ट्वीट के कारण भारतीय जनता पार्टी की IT सेल के प्रमुख अमित मालवीय की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दरअसल, मालवीय ने एक वीडियो ट्वीट किया था, जिसमें कथित तौर पर गैंगरेप का शिकार होने के बाद जान गंवाने वाली हाथरस की 19 वर्षीय दलित लड़की की पहचान उजागर हो रही है। इस बारे में राष्ट्रीय महिला आयोग का कहना है कि रेप पीड़िता की पहचान उजागर करना गैरकानूनी है।
क्या है मामला?
दरअसल, बीते शुक्रवार को अमित मालवीय ने एक वीडियो ट्वीट किया था। इसे शेयर करते हुए उन्होंने लिखा कि हाथरस की पीड़िता अलीगढ़ मु्स्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के बाहर एक रिपोर्टर को बता रही है कि उसका गला घोंटने की कोशिश हुई है। इस वीडियो में मृतका का चेहरा साफ दिख रहा है। वहीं कानून के अनुसार यौन हिंसा की शिकार पीड़िता की पहचान उजागर नहीं की जा सकती। ऐसा करने पर दो साल तक की सजा हो सकती है।
मालवीय को नोटिस भेजने की तैयारी में आयोग
इस बारे में इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए महिला आयोग की प्रमुख रेखा शर्मा ने कहा, "अगर वो रेप पीड़िता है तो उसका वीडियो ट्वीट करना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और यह पूरी तरह गैरकानूनी है।" इसी तरह उत्तर प्रदेश महिला आयोग की प्रमुख विमला बाथम ने कहा कि उन्होंने वीडियो देखा नहीं है, लेकिन अगर इससे पीड़िता की पहचान पता लग रही है तो यह आपत्तिजनक है। आयोग इसका संज्ञान लेते हुए मालवीय को नोटिस भेजेगा।
क्या है कानून?
कानून के मुताबिक, यौन हिंसा पीड़िता या संभावित पीड़िता की पहचान उजागर करने पर दो साल तक की सजा हो सकती है। साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पष्ट किया था कि सिर्फ पीड़िता का नाम उजागर करना ही नहीं बल्कि मीडिया में छपी किसी भी प्रकार की जानकारी से उनकी पहचान उजागर नहीं होनी चाहिए। ऐसा पीड़िता की मौत के बाद या परिवार की सहमति के बाद भी नहीं किया जा सकता।
मालवीय ने पूछा- हाथरस मामले को यौन हिंसा का रंग देने पर क्यों तुले हैं सारे?
मालवीय ने अपने इस ट्वीट को लेकर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन उनके एक और ट्वीट से उनका पक्ष समझा जा सकता है। इस ट्वीट में उन्होंने लिखा कि हर कोई हाथरस की घटना की यौन हिंसा का रंग देने की कोशिश में क्यों हैं, जब न तो पीड़िता और न ही उसकी मां ने अपनी शुरुआती बयानों में ऐसा कोई जिक्र किया? किसी भी मेडिकल एजेंसी की रिपोर्ट में रेप की बात नहीं कही गई है।
पीड़िता ने बयान में कही थी रेप होने की बात
उत्तर प्रदेश पुलिस ने फॉरेंसिक रिपोर्ट के हवाले से दावा किया है कि इसमें पीड़िता के साथ रेप होने की पुष्टि नहीं हुई है। हालांकि, 22 सितंबर को मजिस्ट्रेट के सामने दिए बयान में पीड़िता ने कहा था कि 14 सितंबर को उसके साथ रेप हुआ था। इस मामले में धारा 302 (हत्या) 376D (रेप) और SC/ST एक्ट के तहत FIR हुई है। इस मामले पर राजनीति भी गर्माई हुई है और इसकी जांच CBI को सौंप दी गई है।