राज्यसभा से राघव चड्ढा के निलंबन पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई हैरानी
क्या है खबर?
राज्यसभा से आम आदमी पार्टी (AAP) से सांसद राघव चड्ढा के निलंबन पर सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई है।
कोर्ट ने पूछा कि सदन की कार्यवाही बाधित करने वालों को एक सत्र से निलंबित किया जाता, क्या राघव चड्ढा की गलती इससे भी बड़ी है?
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने राघव चड्ढा द्वारा 11 अगस्त को राज्यसभा से अपने निलंबन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की।
अब इस मामले पर अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी।
मामला
चड्ढा को क्यों निलंबित किया गया था?
राज्यसभा के 5 सांसदों का दावा है कि दिल्ली विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजने के प्रस्ताव पर उनकी सहमति के बिना उनके हस्ताक्षर किए गए। यह प्रस्ताव चड्ढा ने पेश किया था।
आरोप लगाने वाले सांसदों में भाजपा के नरहरि अमीन, सुधांशु द्विवेदी और फांगनोन कोन्याक, BJD के सस्मित पात्रा और AIADMK के थंबीदुरई शामिल हैं।
इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जांच की मांग की थी।
चड्ढा ने आरोप गलत बताए थे।
सुप्रीम कोर्ट
CJI ने कहा- विपक्षी दल की आवाज को संसद से बाहर करना गंभीर विषय
मुख्य न्यायधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की कि विपक्षी दल की आवाज को सदन से बाहर करना एक गंभीर मामला है।
CJI ने कहा, "हमें विपक्षी दल की आवाज को संसद से बाहर न करने के बारे में बहुत सावधान रहना चाहिए।"
सवाल
CJI ने चड्ढा के निलंबन पर उठाए सवाल
CJI चंद्रचूड़ ने पूछा, "क्या यह कार्यवाही में व्यवधान से भी बदतर है? क्या यह सचमुच इतनी बड़ी गलती है? जो व्यक्ति सदन में व्यवधान डालता है उसे शेष सत्र के लिए बाहर कर दिया जाता है।"
सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ ने गौर किया कि चड्ढा के खिलाफ एकमात्र आरोप यह है कि उन्होंने सदस्यों को चयन समिति में शामिल करने का प्रस्ताव देने से पहले उनकी इच्छा को सत्यापित नहीं किया था।
नियम
CJI ने कहा- नियम 256 और 266 प्रथम दृष्टया में लागू नहीं होते
CJI ने बताया कि राज्यों की परिषद में प्रक्रिया और संचालन के नियम 256 और 266 वर्तमान मामले में लागू नहीं होते हैं और पूछा कि क्या किसी सदस्य को अनिश्चित काल के लिए निलंबित करने के लिए अंतर्निहित शक्तियों का इस्तेमाल किया जा सकता है?
CJI ने कहा, "चड्ढा को निलंबित कर दिया गया। अनिश्चित काल तक, नियम 256 और 266 प्रथम दृष्टया में लागू नहीं होते। हमें अनुपातिकता का सिद्धांत भी लागू करना चाहिए।"
दलील
राघव की तरफ से कोर्ट में क्या दलील दी गई?
चड्ढा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि AAP विधायक पहले ही इसके लिए माफी मांग चुके हैं और अध्यक्ष को भी लिखित माफी देने को तैयार हैं।
उन्होंने ये भी तर्क दिया कि 60 दिन तक चड्ढा अगर हाऊस में नहीं गए तो सीट खाली घोषित हो सकती है।
कोर्ट ने चड्ढा की माफी पर अटॉर्नी जनरल से पूछा कि क्या AAP सांसद के सदन से माफी मांग लेने से निलंबन रद्द हो सकता है?
जानकारी
अटॉर्नी जनरल ने कहा- कोर्ट इस मामले में नहीं कर सकता हस्तक्षेप
इस दौरान अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी ने कहा कि इस मामले में कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता क्योंकि ये संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल और चढ्ढा के वकील से लिखित दलीलें जमा के लिए कहा।