मणिपुर: सुप्रीम कोर्ट ने EGI सदस्यों की गिरफ्तारी पर रोक बढ़ाई, सरकार से पूछे ये सवाल
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) के 4 सदस्यों के खिलाफ दर्ज FIR में गिरफ्तारी पर लगी रोक को 2 सप्ताह के लिए बढ़ा दिया है।
बता दें कि मणिपुर की सरकार ने EGI के 4 सदस्यों के खिलाफ हिंसा भड़काने की शिकायत के बाद मामला दर्ज किया था।
इसके खिलाफ EGI ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर FIR रद्द करने की मांग की थी, जिस पर आज दूसरी बार सुनवाई हुई।
टिप्पणी
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
पीठ ने शिकायतकर्ता से पूछा कि मणिपुर में EGI के सदस्यों के खिलाफ समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का अपराध कैसे बनता है?
पीठ ने कहा, "प्रथम दृष्टया पत्रकारों के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है। पत्रकारों के खिलाफ FIR क्यों रद्द नहीं की जानी चाहिए? हमें दिखाएं कि ये अपराध कैसे बनते हैं। ये सिर्फ एक रिपोर्ट है। आपने ऐसी धाराएं लगाई हैं, जो इस मामले में बनती ही नहीं हैं।"
मामला
क्या है मामला?
EGI के अध्यक्ष और 3 सदस्यों के खिलाफ एक सेवानिवृत्त इंजीनियर नंगंगोम शरत सिंह ने शिकायत की थी। शरत ने इन लोगों पर राज्य में हिंसा भड़काने की कोशिश करने का आरोप लगाया था। इसके बाद मणिपुर सरकार ने 4 सितंबर को FIR दर्ज की थी।
इन्हीं 4 लोगों के खिलाफ इंफाल पूर्वी जिले के खुरई की सोरोखैबम थौदाम संगीता ने एक दूसरी FIR दर्ज कराई थी। इसमें मानहानि का आरोप लगाया था।
दौरा
EGI सदस्यों ने किया था मणिपुर का दौरा
FIR में EGI की अध्यक्ष सीमा मुस्तफा, सीमा गुहा, भारत भूषण और संजय कपूर का नाम शामिल है।
सीमा गुहा, भूषण और कपूर ने मणिपुर का दौरा कर यहां हुई मीडिया रिपोर्टिंग का अध्ययन किया था।
दौरे के बाद इस टीम में एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें कहा था कि मणिपुर की जातीय हिंसा पर मीडिया रिपोर्टिंग केवल एक पक्ष के नजरिये से हुई है। सदस्यों ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह पर भी पक्षपात करने का आरोप लगाया था।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
मणिपुर में मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में 3 मई को कुकी समुदाय ने 'आदिवासी एकजुटता मार्च' निकाला था। इसके बाद मणिपुर में हिंसा भड़क उठी है, जो अभी भी जारी है।
मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि नागा और कुकी सहित आदिवासी 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।