नागरिकता कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों को प्रधानमंत्री मोदी ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण, जानें क्या-क्या कहा
नागरिकता कानून के खिलाफ देश के कई हिस्सों में हो रहे जबरदस्त प्रदर्शनों पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंसक प्रदर्शनों को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने आश्वासन दिया है कि नागरिकता कानून को लेकर देश के किसी नागरिक को चिंता करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि ये कानून केवल उन लोगों के लिए है जो वर्षों से अत्याचार का सामना कर रहे हैं और जिनके बाद जाने के लिए भारत के अलावा और कोई जगह नहीं।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक के बाद एक किए लगातार पांच ट्वीट
सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी ने एक के बाद एक पांच ट्वीट करते हुए नागरिकता कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शनों पर प्रतिक्रिया दी। अपने पहले ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'नागरिकता संशोधन कानून पर हिंसक प्रदर्शन दुर्भाग्यपूर्ण और बेहद परेशान करने वाले हैं। बहस, विचार विमर्श और मतभेद लोकतंत्र का अहम हिस्सा हैं, लेकिन सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना और सामान्य जीवन को अशांत करना कभी भी हमारे स्वभाव का हिस्सा नहीं रहा।'
प्रधानमंत्री मोदी का ट्वीट
मोदी बोले, किसी भारतीय को चिंता करने की जरूरत नहीं
मोदी ने आगे लिखा, 'नागरिकता संशोधन कानून, 2019 को संसद के दोनों सदनों ने भारी बहुमत के साथ पारित किया था। बड़ी संख्या में राजनीतिक पार्टियों और सांसदों ने इसका समर्थन किया। ये कानून भारत की वर्षों पुरानी स्वीकृति, सद्भाव, करुणा और भाईचारा की संस्कृति को दिखाता है। मैं सभी भारतीय को स्पष्ट आश्वासन देता हूं ये कानून किसी भी धर्म के भारतीय नागरिक को प्रभावित नहीं करता। किसी भारतीय को इसके बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है।'
मोदी ने स्पष्ट किया किनके लिए है कानून
नए नागरिकता कानून की मकसद स्पष्ट करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, 'ये कानून केवल उन लोगों के लिए है जिन्हें बाहर वर्षों अत्याचार का सामना करना पड़ा है और उनके पास भारत के अलावा जाने के लिए और कोई जगह नहीं।'
प्रधानमंत्री ने की लोगों से शांति बनाए रखने की अपील
अपने अगले ट्वीट में प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, 'इस समय की जरूरत भारत के विकास और हर भारतीय, विशेषकर गरीब,शोषित और हाशिये पर पड़े लोग, के सशक्तिकरण के लिए साथ काम करने की है। हम निहित स्वार्थों वाले समूहों को हमारा विभाजन करने और अशांति फैलाने का मौका नहीं दे सकते।' अंत में वोे शांति, एकता और भाईचारा बनाए रखने की बात कहते हुए लोगों से अफवाहों और झूठ से दूर रहने की अपील करते हैं।
क्या है नागरिकता कानून?
नए नागरिकता कानून के अनुसार, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक अत्याचार का सामना कर रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के जो लोग 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए थे, उन्हें भारतीय नागरिकता दे दी जाएगी। इसके बाद आने वाले इन धर्मों के लोगों को छह साल भारत में रहने के बाद नागरिकता दे दी जाएगी। पहले सबकी तरह उन्हें 11 साल भारत में रहना अनिवार्य था।
क्यों हो रहा है कानून का विरोध?
भारतीय संविधान की धर्मनिरपेक्षता और धर्म के आधार पर भेदभाव न करने की अवधारणा के खिलाफ पहली बार नागरिकता को धर्म से जोड़ने और मुस्लिम समुदाय के लोगों को इससे बाहर रखने इस कानून का विरोध हो रहा है। वहीं पूर्वोत्तर के राज्यों में भी भाषाई और सांस्कृतिक कारणों से इसका विरोध हो रहा है। उन्हें डर है कि बांग्लादेश से आए हिंदुओं को नागरिकता मिलने पर वो अपने ही जमीन पर अल्सपंख्यक बन जाएंगे।
कहां-कहां हो रहे विरोध प्रदर्शन?
नागरिकता कानून के खिलाफ यूं तो देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं, लेकिन मुख्यतौर पर पूर्वोत्तर के राज्यों, दिल्ली और पश्चिम बंगाल में इन प्रदर्शनों की तीव्रता सबसे अधिक है। असम में प्रदर्शन शुरू में हिंसक रहे थे, लेकिन अब पूरी तरह से शांतिपूर्ण हो चुके हैं और पूरे राज्य के लोग सड़कों पर हैं। वहीं बंगाल में प्रदर्शन के दौरान हिंसा के कुछ मामले सामने आए हैं जिसके बाद पांच जिलों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है।
दिल्ली में छात्रों के नेतृत्व में प्रदर्शन
दिल्ली में भी इस कानून के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन हो रहे हैं जिनमें जामिया मिलिया इस्लामिया और अन्य विश्वविद्यालयों के छात्र अग्रिम मोर्चे पर हैं। रविवार को ऐसे ही एक प्रदर्शन के बाद दिल्ली पुलिस ने जामिया में घुसकर छात्रों को पीटा था।