आत्मनिर्भर भारत पैकेज: प्रवासियों के लिए आवंटित अनाज में केवल 33 प्रतिशत का हुआ वितरण
आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत प्रवासियों के लिए आवंटित अनाज में से केवल 33 प्रतिशत अनाज और 56 प्रतिशत चना असल लाभार्थियों तक पहुंचा है। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय से यह जानकारी मिली है। कोरोना वायरस संकट को देखते हुए सरकार ने 14 मई को दो महीनों तक ऐसे प्रवासियों को मुफ्त अनाज देने का ऐलान किया था, जो न तो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून में शामिल थे और न ही जिनके पास राशन कार्ड था।
केंद्र ने किया था आठ लाख टन अनाज का आवंटन
केंद्र सरकार ने प्रवासियों के लिए आठ लाख टन अनाज (गेंहू और चावल) आवंटित किया था। इनमें से केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों ने लगभग 80 प्रतिशत (6.38 लाख टन) का उठान कर लिया, लेकिन बीते चार महीनों में इनमें से केवल 2.64 लाख टन (33 प्रतिशत) अनाज असल लाभार्थियों को वितरित किया गया है। एक अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय के पास आए ये आंकड़े 31 अगस्त तक के हैं।
मई से अगस्त तक चली योजना
इस योजना के तहत मई और जून में हर प्रवासी परिवार को पांच किलो अनाज और एक किलो चना दिया जाना था। बाद में केंद्र ने राज्यों को उठान किए जा चुके अनाज को वितरित करने के लिए दो अतिरिक्त महीनों- जुलाई और अगस्त तक का समय दिया था। इसके बावजूद 31 अगस्त तक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश 6.38 लाख टन में से केवल 41 प्रतिशत का ही वितरण कर पाए हैं।
केवल चार राज्यों ने किया 100 प्रतिशत अनाज का वितरण
आंकड़ों से पता चलता है कि मई महीने में 1.17 लाख टन अनाज मुफ्त में वितरित किया गया था। जून में यह आंकड़ा 1.24 लाख टन, जुलाई में 15,223 टन और अगस्त में सबसे कम होकर 7,643 टन रह गया। कुल 36 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में 26 ने अपने हिस्से के पूरे अनाज का उठान कर लिया, वहीं केवल बिहार, छत्तीसगढ़, नागालैंड और ओडिशा ही चार ऐसे राज्य हैं, जिन्होंने 100 प्रतिशत आवंटित अनाज का वितरण किया है।
अनाज वितरण में इन राज्यों का प्रदर्शन खराब
मंत्रालय के अनुसार, आंध्र प्रदेश ने अपने हिस्से का 100 प्रतिशत अनाज का उठान कर लिया है, लेकिन उसने इसका वितरण भी शुरू नहीं किया है। इसी तरह तेलंगाना और गोवा ने अपना हिस्सा लेने के बाद महज क्रमश: 1 और 3 प्रतिशत का वितरण किया है। गुजरात ने उसको आवंटित 80 प्रतिशत अनाज का उठान किया है, लेकिन इसमें से महज 1 प्रतिशत लाभार्थियों तक वितरित किया है। इस हिसाब से इन राज्यों का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है।
चने का आवंंटन भी रहा धीमा
इसी तरह प्रति परिवार 1 किलो मुफ्त चने का आवंटन भी धीमा रहा है। योजना के तहत कुल 29,132 टन चने में से 16,323 टन (56 प्रतिशत) का उठान हुआ है। केवल दिल्ली और मणिपुर ने चने का 100 प्रतिशत वितरण किया है। वहीं उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, गोवा, तेलंगाना, गुजरात, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, लद्दाख और लक्षद्वीप ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं, जहां 10 प्रतिशत चने का भी वितरण नहीं हुआ है।
राज्यों ने नहीं की योजना जारी रखने की मांग
अगस्त बीत जाने के बाद भी किसी राज्य ने इस योजना को जारी रखने की मांग नही की है, जिसके बाद यह सोमवार से बंद हो गई। जब इस योजना का ऐलान किया गया था तब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि इससे लगभग आठ करोड़ प्रवासियों को फायदा होगा। उसी संख्या के हिसाब से अनाज आवंटित किया गया था। हालांकि, राज्यों ने कहा था कि केवल 2.8 करोड़ प्रवासियों को इस योजना का फायदा मिल सकता है।