उत्तर प्रदेश: फोन पर स्मृति ईरानी की आवाज न पहचानने पर लेखपाल के खिलाफ जांच
उत्तर प्रदेश के अमेठी में फोन पर भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की आवाज न पहचानने पर एक लेखपाल के खिलाफ जांच शुरू की गई है। लेखपाल के शिकायत मिलने पर ईरानी ने उन्हें फोन किया था, लेकिन वह उन्हें नहीं पहचान पाए। लेखपाल पर अपने कर्तव्यों को निर्वहन न करने का आरोप लगा है और उनसे अपना पक्ष रखने को कहा गया है। उनका पक्ष जानने के बाद मामले में कार्रवाई की जाएगी।
क्या है पूरा मामला?
मीडिया रिपोर्टस् के अनुसार, अमेठी की मुसाफिरखाना तहसील के पूरे पहलवान गांव के रहने वाले 27 वर्षीय करुणेश ने 27 अगस्त को इलाके की सांसद स्मृति ईरानी को एक शिकायत सौंपी थी। इसमें उन्होंने कहा था कि उनके पिता एक शिक्षक थे और उनकी मौत के बाद उनकी मां सावित्री देवी को पेंशन मिलनी चाहिए, लेकिन उनकी पेंशन रुकी हुई है क्योंकि लेखपाल दीपक ने अभी तक वेरिफिकेशन पूरी नहीं की है।
ईरानी ने फोन किया तो उन्हें पहचान नहीं पाया लेखपाल, CDO ने ऑफिस बुलाया
शिकायत मिलने पर ईरानी ने लेखपाल दीपक को फोन किया, लेकिन वह उन्हें नहीं पहचान पाए। इसके बाद अमेठी की मुख्य विकास अधिकारी (CDO) अंकुर लाठर ने उनसे फोन लिया और लेखपाल से उन्हें उनके ऑफिस आकर मिलने को कहा। CDO ने कहा कि करुणेश ने अपनी शिकायत में लेखपाल पर ढील का आरोप लगाया है और उन्होंने ठीक से अपने कर्तव्यों को निर्वहन नहीं किया।
SDM को मामले की जांच करने का निर्देश
CDO लाठर ने कहा कि मुसाफिरखाना के सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (SDM) को मामले की जांच करने का निर्देश दिया गया है और लेखपाल से अपना पक्ष रखने को कहा गया है। लेखपाल मुसाफिरखाना तहसील की गौतमपुर ग्राम सभा में तैनात है।
राहुल गांधी को मात दे अमेठी की सांसद बनी थीं स्मृति ईरानी
बता दें कि स्मृति ईरानी कांग्रेस नेता राहुल गांधी को हराकर अमेठी से सांसद बनी हैं। 2019 लोकसभा चुनाव में उन्होंने राहुल को 55,120 वोटों से हराते हुए ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। अमेठी गांधी-नेहरू परिवार का गढ़ रहा है और राहुल पिछले तीन चुनाव से यहां से जीतते हुए आ रहे थे। ऐसे में किसी ने भी यहां उनकी हार की उम्मीद नहीं की थी। 2014 लोकसभा चुनाव में भी ईरानी ने राहुल को कड़ी टक्कर दी थी।
न्यूजबाइट्स प्लस
अमेठी से गांधी परिवार के संबंध की बात करें तो सबसे पहले 1980 लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के चाचा संजय गांधी इस सीट से चुनाव लड़े और जीत दर्ज की। उनकी मौत के बाद राजीव गांधी यहां से सांसद बने। राजीव यहां से चार बार सांसद बने। उनकी मौत के बाद 1999 में सोनिया गांधी ने यहां से चुनाव लड़ते हुए जीत दर्ज की। राहुल के नाम यहां सर्वाधिक समय तक सांसद रहने का रिकॉर्ड है।