अखिलेश यादव से मिले बसपा के नौ बागी विधायक, पार्टी बदलने की अटकलें

अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में सियासी उठापटक शुरू हो गई है और आज बहुजन समाज पार्टी के नौ बागी विधायक समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से मिले। ये विधायक सुबह लगभग 11 बजे लखनऊ स्थिति सपा मुख्यालय पहुंचे और यहां अखिलेश के साथ लंबी चर्चा की। ये सभी विधायक बसपा से निलंबित हैं और इनके विधानसभा चुनाव से पहले सपा में शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है।
जो बसपा विधायक अखिलेश से मिलने पहुंचे, उनमें असलम राइनी, असलम अली चौधरी, मुज्तबा सिद्दीकी, हाकिम लाल बिंद, हरगोविंद भार्गव, सुषमा पटेल, वंदना सिंह, रामवीर उपाध्याय और अनिल सिंह शामिल रहे। अगर ये विधायक सपा में शामिल होते हैं तो विधानसभा चुनाव से पहले ये अखिलेश के लिए एक बड़ी जीत होगी और राज्य में भाजपा का मुख्य विरोधी होने के उनके दावों को मजबूती मिलेगी। वहीं सुस्त नजर आ रही बसपा के लिए ये एक बड़ा झटका होगा।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में बसपा लगातार सिमटती जा रही है और उसके आधे से अधिक विधायक बागी हैं। 2017 विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 19 सीटें जीती थीं जिनमें से एक सीट को वह बाद में उपचुनाव में हार गई। इसके कुछ समय बाद मायावती ने रामवीर उपाध्याय और अनिल सिंह को पार्टी-विरोधी गतिविधियों के आरोप में पार्टी से बाहर निकाल दिया। वहीं सात विधायकों ने राज्यसभा चुनाव के दौरान बगावत करने पर बाहर निकाल दिया गया।
पिछले हफ्ते मायावती ने पार्टी के दो जाने-माने नेता राम अचल राजभर और लालजी वर्मा को भी पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए बसपा से बाहर कर दिया था। लालजी वर्मा 1991 से पार्टी से जुड़े हुए थे और उत्तर प्रदेश विधानसभा में बसपा विधायक दल के नेता थे। वहीं राजभर उत्तर प्रदेश बसपा की कमान संभाल चुके हैं और बसपा की सभी सरकारों में मंत्री रहे थे। इन दोनों ने हालिया पंचायत चुनाव में बसपा को बहुत नुकसान पहुंचाया था।
इस तरह पिछले चार साल में बसपा के 19 में से 11 विधायक पार्टी से बाहर निकाले जा चुके हैं, वहीं पार्टी एक सीट उपचुनाव में गंवा चुकी है। अब राज्य विधानसभा में पार्टी के महज सात विधायक रह गए हैं और उसकी राजनीतिक हैसियत लगातार सीमित होती जा रही है। जो 11 विधायक बागी हुए हैं, उनमें से लालजी वर्मा और राम राजभर दो ऐसे विधायक रहे जो अखिलेश से नहीं मिल।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों में मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा और बसपा जैसी क्षेत्रीय पार्टियों में है। भाजपा का लक्ष्य इन चुनावों में 2017 के अपने प्रदर्शन को दोहराना है। हालांकि किसान आंदोलन और कोविड महामारी ने उसकी राह को मुश्किल किया है। मुख्य योगी आदित्यनाथ के खिलाफ खुद पार्टी के सांसदों और विधायकों में नाराजगी है और भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इसे लेकर चिंतित है।