
क्या है अमेठी अस्पताल विवाद, जिसे लेकर वरुण गांधी ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा?
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से भाजपा के सांसद वरुण गांधी ने एक बार फिर अपनी ही सरकार पर हमलावर हैं। शनिवार को अमेठी के संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस निलंबित किये जाने को लेकर उन्होंने सरकार पर निशाना साधा।
वरुण ने कहा है कि अस्पताल के लाइसेंस को पूरी तरह से जांच किए बिना निलंबित करना उन सभी व्यक्तियों के साथ अन्याय है, जो संस्थान पर निर्भर हैं।
आइए जानते हैं कि मामले में सांसद वरुण ने क्या कहा है।
मामला
क्या है अमेठी अस्पताल का मामला?
पिछले दिनों अमेठी के संजय गांधी अस्पताल में एक महिला की मौत हो गई थी। परिजनों का आरोप था कि गलत इलाज की वजह से महिला की जान गई है।
मामले में जिलाधिकारी से लेकर उपमुख्यमंत्री से शिकायत की गई थी। एक स्थानीय समिति की जांच रिपोर्ट के बाद प्रशासन ने अस्पताल का लाइसेंस रद्द करते हुए इसे सील कर दिया था।
दूसरी ओर अस्पताल का लाइसेंस बहाल करने की मांग को लेकर यहां तैनात कर्मचारी प्रदर्शन कर रहे हैं।
बयान
सासंद वरुण अस्पताल बंद करने को बताया व्यवस्था का अहंकार
सांसद वरुण ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर अमेठी के अस्पताल का लाइसेंस निलंबित होने का मुद्दा उठाया है।
उन्होंने लिखा, 'सवाल संजय गांधी अस्पताल के 450 कर्मचारियों और उनके परिवार का ही नहीं, रोज सैकड़ों की संख्या में इलाज कराने वाले सूबे की आम जनता का भी है।'
उन्होंने आगे लिखा, 'उनकी पीड़ा के साथ न्याय 'मानवता की दृष्टि' ही कर सकती है, 'व्यवस्था का अहंकार' नहीं। कहीं 'नाम' के प्रति नाराजगी लाखों का 'काम' न बिगाड़ दे।'
सांसद
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री को वरुण ने लिखा पत्र
इससे पहले मामले में सासंद वरुण ने 22 सितंबर को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को भी एक पत्र भी लिखा था और उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार से इस मामले पर पुनर्विचार की मांग की थी।
उन्होंंने अपने पत्र में कहा था कि अस्पताल के लाइसेंस के निलंबित करने पर जवाबदेही जरूरी है, लेकिन यह भी जरूरी है कि निष्पक्षता के सिद्धांतों को बरकरार रखा जाए और मामले की जांच की जाए।
वरुण
सांसद वरुण ने पत्र में और क्या लिखा?
सासंद ने अपने पत्र में लिखा था कि अस्पताल में कथित चिकित्सीय लापरवाही से जुड़ी हालिया घटना की गंभीरता को स्वीकार करते हुए इस मामले को आनुपातिकता और निष्पक्षता की भावना से देखना आवश्यक है।
उन्होनें पत्र में लिखा था कि अस्पताल का संचालन बंद होने कर्मचारियों के अलावा यहां आने वाले मरीजों को परेशानी हो सकती है और बिना निष्पक्ष जांच के अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करना जल्दबाजी और अन्यायपूर्ण कार्रवाई प्रतीत होती है।