मनीष सिसोदिया का देश के नाम पत्र, कहा- प्रधानमंत्री का कम पढ़ा-लिखा होना बेहद खतरनाक
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री मामले में तिहाड़ जेल से देश के नाम एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री का कम पढ़ा-लिखा होना देश के लिए बेहद खतरनाक है और प्रधानमंत्री का शिक्षित होना देश की प्रगति के लिए बहुत जरूरी है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी शिक्षा के महत्व को नहीं समझते हैं और बीते कुछ सालों में देशभर में 60,000 स्कूल बंद कर दिये गए हैं।
सिसोदिया ने क्यों लिखा पत्र?
प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार, उन्होंने 1978 में गुजरात विश्वविद्यालय से स्नातक और 1983 में दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की थी। हालांकि, बीते सालों में उनकी डिग्रियों पर कई सवाल उठे हैं। अब इस मुद्दे को एक बार फिर आम आदमी पार्टी (AAP) ने जोर-शोर से उठाया है। अरविंद केजरीवाल ने पिछले दिनों कहा था कि 21वीं सदी के भारत का प्रधानमंत्री पढ़ा-लिखा होना चाहिए। इसी मुद्दे को आगे बढ़ाते हुए सिसोदिया ने प्रधानमंत्री पर तंज कसा है।
मनीष सिसोदिया के पत्र को केजरीवाल ने किया ट्वीट
सिसोदिया ने पत्र में क्या लिखा है?
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा, "आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं। दुनिया भर में विज्ञान और टेक्नॉलॉजी में हर रोज नई तरक्की हो रही है। सारी दुनिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बात कर रही है। ऐसे में जब मैं प्रधानमंत्री को यह कहते हुए सुनता हूं कि गंदे नाले में पाइप डालकर उसकी गंदी गैस से चाय या खाना बनाया जा सकता है तो मेरा दिल बैठ जाता है।"
सिसोदिया ने कहा- प्रधानमंत्री को विज्ञान की बुनियादी जानकारी तक नहीं
सिसोदिया ने पत्र में आगे लिखा, "जब प्रधानमंत्री कहते हैं कि बादलों के पीछे उड़ते जहाज को रडार नहीं पकड़ सकता तो पूरी दुनिया में वो हास्य के पात्र बनते हैं। स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने वाले बच्चे उनका मजाक बनाते हैं। उनके इस तरह के बयान देश के लिए बेहद खतरनाक हैं। इसके कई नुकसान हैं। पूरी दुनिया को पता चल जाता है कि प्रधानमंत्री कितने कम पढ़े-लिखे हैं और उन्हें विज्ञान की बुनियादी जानकारी तक नहीं है।"
सिसोदिया ने पूछा- क्या देश के सबसे बड़े मैनेजर को पढ़ा लिखा नहीं होना चाहिए?
सिसोदिया ने लिखा, "मैंने प्रधानमंत्री का एक वीडियो देखा, जिसमें वो बड़े गर्व के साथ कह रहे थे वो पढ़े-लिखे नहीं हैं। केवल गांव के स्कूल तक ही उनकी शिक्षा हुई है। क्या अनपढ़ और कम पढ़ा-लिखा होना गर्व की बात है? जिस देश के प्रधानमंत्री को कम पढ़े-लिखे होने पर गर्व हो, उस देश में आम आदमी के बच्चे के लिए अच्छी शिक्षा का इंतजाम नहीं किया जाएगा? क्या देश के सबसे बड़े मैनेजर को पढ़ा-लिखा नहीं होना चाहिए?"