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    फांसी के दोषियों ही नहीं, पीड़ितों के अधिकारों पर भी ध्यान दे सुप्रीम कोर्ट- CJI बोबड़े

    फांसी के दोषियों ही नहीं, पीड़ितों के अधिकारों पर भी ध्यान दे सुप्रीम कोर्ट- CJI बोबड़े
    लेखन मुकुल तोमर
    Jan 23, 2020, 06:32 pm 1 मिनट में पढ़ें
    फांसी के दोषियों ही नहीं, पीड़ितों के अधिकारों पर भी ध्यान दे सुप्रीम कोर्ट- CJI बोबड़े

    सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) शरद अरविंद बोबड़े ने गुरूवार को फांसी की सजा पाए दोषियों के लगातार याचिकाएं दायर करने पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को केवल दोषियों ही नहीं बल्कि पीड़ितों के अधिकारों पर भी ध्यान देना चाहिए। CJI बोबड़े ने कहा कि फांसी की सजा पाए एक दोषी को ये नहीं लगना चाहिए कि सजा को हमेशा चुनौती दी जा सकती है और कोई भी हमेशा लड़ते नहीं रह सकता।

    अमरोहा की दंपत्ति की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे CJI

    CJI ने ये बातें उत्तर प्रदेश के अमरोहा की एक दंपत्ति की याचिका पर सुनवाई के दौरान कहीं। दंपत्ति ने अप्रैल 2008 में पत्नी के परिवार के सात सदस्यों को बेहोश करके उनकी हत्या कर दी थी। इनमें 10 महीने का एक बच्चा भी शामिल था। मामले में उन्हें 2010 में फांसी की सजा सुनाई गई थी। लेकिन 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने उनका डेथ वारंट ये कहते हुए रद्द कर दिया कि उनके कानूनी विकल्प अभी बाकी रहते हैं।

    CJI बोले, हम दोषियों के अधिकारों पर जोर नहीं देना चाहते

    आज जब दंपत्ति की याचिका पर सुनवाई फिर से शुरू हुई तो CJI बोबड़े ने कहा कि ये बहुत जरूरी है कि फांसी की सजा के मामलों में कुछ निश्चित हो। उन्होंने कहा, "दोषी को ये नहीं लगना चाहिए कि सजा को हमेशा चुनौती दी जा सकती है।" उन्होंने आगे कहा, "ऐसे मामले में जिसमें 10 महीने के एक बच्चे समेत सात लोगों की हत्या की गई, हम दोषियों के अधिकारों पर ध्यान या जोर देना नहीं चाहते।"

    सरकार ने की है दया याचिका के लिए समय सीमा तय करने की मांग

    बुधवार को ही केंद्र सरकार ने याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट से न्यायिक प्रक्रिया को दोषियों की बजाय पीड़ितों के पक्ष में करने का अनुरोध किया है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा पा चुके दोषियों के दया याचिका दायर करने के लिए सात दिन की समय सीमा तय करने का अनुरोध किया है। इसके अलावा ऐसे मामलों में रिव्यू और क्यूरेटिव पिटिशन दायर करने के लिए भी समय सीमा तय करने का अनुरोध भी किया गया है।

    कानून का फायदा उठा फांसी को टाल रहे निर्भया के दोषी

    ये सब ऐसे समय पर हो रहा है जब निर्भया गैंगरेप के चारों दोषी कानून की बारीकियों का फायदा उठा फांसी टालने में लगे हुए हैं। दोषी एक-एक करके सुप्रीम कोर्ट में याचिका और राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर कर रहे हैं। उन्हें 22 जनवरी को सुबह सात बजे फांसी दी जानी थी। लेकिन एक दोषी, मुकेश सिंह, के राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजने के कारण इसे टालना पड़ा। अब उन्हें 1 फरवरी को फांसी होनी है।

    अब 1 फरवरी को होनी है फांसी, दोषियों से पूछी गई अंतिम इच्छा

    अब चारों दोषियों को 1 फरवरी को फांसी दी जानी है। लेकिन दो दोषियों के पास सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटिशन और तीन दोषियों के पास राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करने का अधिकार अभी भी होने के कारण इस दिन भी फांसी दिया जाना मुश्किल लग रहा है। इस बीच तिहाड़ जेल प्रशासन अपनी तैयारियों में लगा हुआ है और चारों दोषियों से उनकी अंतिम इच्छा पूछी है। दोषियों ने अभी तक अपनी अंतिम इच्छा नहीं बताई है।

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