महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद: उद्धव ठाकरे की मांग- विवादित इलाकों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाए
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कर्नाटक के साथ विवाद का केंद्र बने सीमावर्ती इलाकों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने की मांग की है। महाराष्ट्र विधान परिषद में बोलते हुए ठाकरे ने कहा कि जब तक मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, तब तक केंद्र सरकार को "कर्नाटक के कब्जे" वाले महाराष्ट्र के इलाकों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर देना चाहिए। उन्होंने मामले पर राज्य सरकार की चुप्पी पर भी निशाना साधा।
ये केवल भाषा और सीमा नहीं, बल्कि इंसानियत का भी मुद्दा- ठाकरे
अपने संबोधन में ठाकरे ने कहा कि ये केवल भाषा और सीमा का मुद्दा नहीं है, बल्कि इंसानियत का मामला भी है। उन्होंने कहा कि मराठी भाषी लोग कई पीढ़ियों से सीमावर्ती गांवों में रह रहे हैं और उनका दैनिक जीवन, भाषा और जीवनशैली मराठी है। उन्होंने कहा कि दोनों सदनों (के सदस्यों) को "केस फॉर जस्टिस" फिल्म देखनी चाहिए और इस विवाद पर महाजन आयोग की रिपोर्ट पढ़नी चाहिए।
ठाकरे बोले- शिंदे सरकार ने मामले पर नहीं बोला एक भी शब्द
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधते हुए ठाकरे ने कहा कि उसने मामले पर एक भी शब्द नहीं बोला है। उन्होंने कहा, "जब बेलगाम नगर निगम ने महाराष्ट्र के साथ विलय का प्रस्ताव पारित किया, तब उनके खिलाफ कार्रवाई की गई। इसी तरह कुछ ग्राम पंचायतों ने तेलंगाना के साथ विलय की मांग की। क्या शिंदे सरकार के पास इन ग्राम पंचायतों के खिलाफ कार्रवाई करने का साहस भी नहीं है?"
ठाकरे ने केंद्र सरकार की भूमिका पर भी उठाए सवाल
ठाकरे ने दोनों राज्यों के "संरक्षक" के रूप में केंद्र सरकार की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, "क्या केंद्र सरकार ने संरक्षक की भूमिका अदा की है? हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार संरक्षक के तौर पर कार्य करेगी।"
क्या है महाराष्ट्र और कर्नाटक का सीमा विवाद?
बलगाम और इसके आसपास के गांवों को लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक में सीमा विवाद चल रहा है। अभी कर्नाटक में आने वाले ये इलाके पहले बॉम्बे प्रेसीडेंसी में हुआ करते थे, लेकिन 1957 में राज्यों के पुनर्गठन के समय इन्हें कर्नाटक को दे दिया गया, जबकि इन इलाकों की अधिकतर आबादी मराठी-भाषी है। तभी से इन इलाकों पर विवाद बना हुआ है। अभी मामले पर दोनों राज्यों की सरकारें आमने-सामने हैं।
मौजूदा विवाद की शुरूआत कैसे हुई?
ताजा विवाद की शुरूआत कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के एक बयान से हुई। नवंबर में दिए गए इस बयान में बोम्मई ने कहा था कि विवादित क्षेत्र में पड़ने वाले गांव कर्नाटक में शामिल होने की इच्छा व्यक्त कर चुके हैं। इसके जवाब में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि कोई भी गांव कर्नाटक के साथ विलय नहीं करना चाहता। दोनों राज्यों की सरकारें कह चुकी हैं कि एक इंच जमीन नहीं दी जाएगी।