AAP के महेश खींची दिल्ली नगर निगम के नए महापौर बने, 3 वोटों से जीता चुनाव
दिल्ली नगर निगम (MCD) के महापौर चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के उम्मीदवार महेश कुमार खींची ने जीत दर्ज की है। उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार और शकूरपुर वार्ड पार्षद किशन लाल को हराया है। महेश को 133 वोट मिले, जबकि भाजपा के किशन लाल को 130 वोट प्राप्त हुए। कुल 265 वोटों में से 2 वोट अमान्य करार दिए गए। इसी के साथ एक बार फिर महापौर पद AAP के खाते में गया है।
AAP के 10 पार्षदों ने की क्रॉस वोटिंग
चुनाव में कुल 284 उम्मीदवारों को वोट डालने थे। इनमें 249 पार्षद, 14 विधायक, 7 लोकसभा और 3 राज्यसभा सांसदों को मतदान करना था। हालांकि, चुनाव में सिर्फ 263 वोट पड़े। इनमें से 133 AAP और 130 भाजपा प्रत्याशी को मिले। समीकरणों के लिहाज से भाजपा को करीब 120 वोट मिलने थे, लेकिन 130 मिले। यानी AAP के 10 पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग की है। वहीं, कांग्रेस पार्षदों ने चुनाव का बहिष्कार किया था।
मुख्यमंत्री आतिशी ने दी बधाई
मुख्यमंत्री आतिशी ने महेश की बधाई देते हुए लिखा, 'दलित विरोधी भाजपा ने षड्यंत्र रचकर चुनाव में देरी करवाई। लेकिन एक बार फिर बाबा साहेब के संविधान की जीत हुई है। AAP की बदौलत दिल्ली को दलित महापौर मिला। महापौर बनने पर महेश जी को बधाई! मुझे उम्मीद है कि आपके नेतृत्व में MCD में केजरीवाल जी के काम की राजनीति आगे बढ़ेगी।' वहीं, AAP ने कहा कि ये जीत सिर्फ पार्टी की नहीं, बल्कि दिल्ली की जनता की है।
महापौर चुने जाने पर क्या बोले महेश खींची?
कौन हैं महेश खींची?
महेश कुमार करोल बाग विधानसभा क्षेत्र के देव नगर के वार्ड 84 से पार्षद हैं। महेश ने दिल्ली विश्वविद्यालय के मोतीलाल नेहरू कॉलेज से पढ़ाई की है। महेश की जीत के बाद AAP समर्थकों ने जश्न मनाना शुरू कर दिया है। हालांकि, महेश का कार्यकाल केवल करीब 4 महीने का ही रहेगा। वहीं, दिल्ली का नया उपमहापौर रविंदर भारद्वाज को बनाया गया है, जो कि अमन विहार से पार्षद हैं।
कांग्रेस ने क्यों किया मतदान का बहिष्कार?
महापौर का पद इस बार दलित समुदाय के लिए आरक्षित था, लेकिन कार्यकाल 4 महीने का ही रहेगा। इसे लेकर कांग्रेस ने चुनाव का बहिष्कार किया। कांग्रेस पार्षदों ने सदन की कार्यवाही में हिस्सा लिया, लेकिन मतदान नहीं किया। इस बीच कांग्रेस पार्षद सबीला बेगम ने पार्टी से इस्तीफा देते हुए AAP को समर्थन दे दिया। उन्होंने लिखा कि महापौर चुनाव से दूर रहकर वे भाजपा का समर्थन नहीं कर सकती। अब कांग्रेस में सिर्फ 8 पार्षद रह गए हैं।