कन्हैया कुमार ने थामा कांग्रेस का हाथ, तकनीकी कारणों के फेर में फंसे मेवाणी

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (CPI) नेता कन्हैया कुमार ने मंगलवार को कांग्रेस का हाथ थाम लिया। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल और गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल की मौजूदगी में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। हालांकि, गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी तकनीकी कारणों के चलते चाहकर भी कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण नहीं कर सके।
पार्टी में शामिल होने के बाद कन्हैया ने कहा, "शहीदे आजम भगत सिंह को हम नमन करते हैं। मुझे लगता है बहुत कुछ कहने की जरूरत नहीं है। सूचना क्रांति के युग में सभी को बहुत कुछ मालूम होता है।" उन्होंने कहा, "मुझे या करोड़ों युवाओं को लगने लगा है कि कांग्रेस नहीं बची तो देश नहीं बचेगा। इसलिए मैने कांग्रेस ज्वाइन की। देश में वैचारिक संघर्ष को कांग्रेस पार्टी ही नेतृत्व दे सकती है। वह सबसे लोकतांत्रिक पार्टी है।"
कन्हैया ने कहा, "कांग्रेस देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है और हमारी उसे बचाने की जिम्मेदारी है। अगर बड़ा जहाज नहीं बचेगा तो छोटे जहाज भी नहीं बचेंगे।" उन्होंने आगे कहा, "देश में कुछ लोग केवल न केवल सत्ता पर काबिज हुए हैं बल्कि इस देश का वर्तमान और भविष्य खराब करने में लगे हैं। देश को बचाने के लिए ही मैं कांग्रेस में इसलिए शामिल होना चाहता हूं। कांग्रेस एक पार्टी नहीं है, एक विचार है।"
कन्हैया ने कहा, "आज इस देश को भगत सिंह के साहस, अंबेडकर की समानता और गांधी की एकता की जरूरत है। यह देश 1947 से पहले की स्थिति में चला गया है। आज इस देश में सत्ता से सवाल करने की परंपरा को बचाने की जरूरत है।" उन्होंने कहा, "कांग्रेस पार्टी महात्मा गांधी, अंबेडकर, भगत सिंह के सिद्धांतों को आगे लेकर चलेगी। ऐसे में यदि विपक्ष कमजोर होगा तो सत्ता निरंकुश हो जाएगी। हमें ऐसा नहीं होने देना है।"
कन्हैया के पार्टी में शामिल होने के बाद कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, "हम इन युवा नेताओं कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवाणी के साथ काम करने को लेकर आशान्वित हैं, ताकि देश पर शासन कर रही फासीवादी ताकतों को हराया जा सकें।"
इस बीच, कांग्रेस में शामिल होने को लेकर आए गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी तकनीकी कारणों के चलते पार्टी में शामिल नहीं हो सके। हालांकि, उन्होंने पार्टी को अपना समर्थन दे दिया। मेवाणी ने कहा, "मैं तकनीकी कारणों से औपचारिक रूप से कांग्रेस में शामिल नहीं हो सका। मैं निर्दलीय विधायक हूं और पार्टी में शामिल होने के लिए मुझे विधायक पद छोड़ना होगा। मैं वैचारिक रूप से कांग्रेस का हिस्सा हूं और कांग्रेस के टिकट पर आगामी चुनाव लडूंगा।"
सूत्रों की माने तो कन्हैया को कांग्रेस के करीब लाने में विधायक शकील अहमद खान की अहम भूमिका है। कन्हैया से उनका अच्छा तालमेल है और उन्होने ही राहुल गांधी से कन्हैया कुमार की मुलाकात करवाई थी। दरअसल नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ आंदोलन में भी शकील बिहार में कन्हैया के साथ घूम रहे थे। हालांकि, इसमें चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का भी अहम रोल माना जा रहा है। उन्होंने ही युवाओं को जोड़ने की मुहिम शुरू की थी।
मूल रूप से बिहार से ताल्लुक रखने वाले कन्हैया JNU में कथित तौर पर देशविरोधी नारेबाजी के मामले में गिरफ्तारी के बाद सुर्खियों में आए थे। वह पिछले लोकसभा चुनाव में बिहार की बेगूसराय लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के खिलाफ CPI के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े थे, हालांकि वह हार गए थे। दूसरी ओर, दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले जिग्नेश मेवाणी गुजरात के वडगाम विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक हैं।