उमर अब्दुल्ला: विधानसभा और लोकसभा चुनाव हारने के बाद 10 साल में कैसे की वापसी?
उमर अब्दुल्ला दूसरी बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बन गए हैं। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई है। सुरिंदर चौधरी को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। विधानसभा चुनावों से पहले उमर ने मैदान में उतरने से मना तक कर दिया था। हालांकि, इसके बाद उन्होंने न सिर्फ चुनाव लड़ा, बल्कि अपनी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) की भी राज्य की सत्ता में वापसी कराई। आइए उमर और उनकी पार्टी का सियासी सफर जानते हैं।
2014 में एक सीट से चुनाव हार गए थे उमर
जम्मू-कश्मीर में 2014 आखिरी विधानसभा चुनाव हुए थे। तब उमर राज्य के मुख्यमंत्री थे। उमर ने चौंकाने वाला फैसला लेते हुए अब्दुल्ला परिवार की पारंपरिक सीट गारबंदल से चुनाव नहीं लड़ा था। इसके बजाय वे सोनावर और बीरवाह से मैदान में उतरे। सोनावर में उमर को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के मोहम्मद अशरफ मीर ने हरा दिया, वहीं बीरवाह से उमर बड़ी मुश्किल से केवल 910 वोटों से जीत पाए।
2014 में PDP को भी मिली थी करारी हार
2014 के विधानसभा चुनावों में उमर की NP का भी बुरा हाल हुआ था। उनकी पार्टी 85 सीटों पर मैदान में थी, लेकिन केवल 15 सीट ही जीत सकी। पिछले चुनावों के मुकाबले NP को 13 सीटों का नुकसान हुआ। पार्टी के वोट शेयर में भी 2.27 प्रतिशत की गिरावट आ गई। इसके बाद उमर को सत्ता गंवानी पड़ी और मुफ्ती मोहम्मई सईद के नेतृत्व में भाजपा-PDP ने गठबंधन सरकार बनाई।
निर्दलीय से लोकसभा चुनाव भी हार गए थे उमर
उमर को करीब 6 महीने पहले ही हुए लोकसभा चुनावों में भी बड़ा झटका लगा था। तब वे बारमूला सीट से मैदान में थे, जहां निर्दलीय उम्मीदवार अब्दुल रशीद शेख ने उमर को 2 लाख से ज्यादा वोटों से हरा दिया था। 2019 में ये सीट उमर के पार्टी के ही मोहम्मद अकबर लोन के पास थी। ऐसे में उमर की हार को विश्लेषकों ने उनके सियासी करियर की बड़ी विफलता के तौर पर देखा था।
कैसे हुई NC की सत्ता में वापसी?
2014 तक जब उमर मुख्यमंत्री थे, तब जम्मू-कश्मीर पूर्ण राज्य था, लेकिन अनुच्छेद 370 हटने के बाद केंद्र शासित प्रदेश बन गया था। विधानसभा चुनावों में अनुच्छेद 370 और पूर्ण राज्य का दर्जा ही सबसे बड़ा मुद्दा था। उमर ने वादा किया कि अगर वे सत्ता में आए तो जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाकर रहेंगे। उनका पूरा चुनाव अभियान कश्मीरियत की पहचान और पूर्ण राज्य के दर्जे की बहाली पर ही केंद्रित रहा।
विधानसभा चुनावों में कैसा रहा NC का प्रदर्शन?
2024 के विधानसभा चुनावों में उमर ने अपनी पारंपरिक सीट गांदरबल और बडगाम दोनों से चुनाव लड़ा और दोनों पर जीत हासिल की। गारबंदल में उन्होंने अपने विपक्षी उम्मीदवार को 10,574 जबकि बडगाम में 18,485 वोटों से हराया। उनकी पार्टी ने 42 सीटें जीतीं, जो पिछले चुनावों से 27 ज्यादा है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP), कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और निर्दलीयों के समर्थन से उमर केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं।
उमर के नाम हैं ये रिकॉर्ड
उमर ने अपना पहला लोकसभा चुनाव 1998 में केवल 28 साल की उम्र में जीता था। उस समय वे संसद पहुंचने वाले सबसे युवा सांसद थे। 1999 में दूसरी बार सांसद बनने के बाद उमर को अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में विदेश राज्य मंत्री बनाया गया था। इस पद पर पहुंचने वाले वे सबसे युवा मंत्री थे। हालांकि, दिसंबर 2002 में उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था।