प्रधानमंत्री की बैठक से नदारद रह सकती हैं महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्ला को भेजने पर विचार
क्या है खबर?
पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) प्रमुख महबूबा मुफ्ती जम्मू-कश्मीर की आठ शीर्ष पार्टियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सर्वदलीय बैठक से नदारद रह सकती हैं।
इंडिया टुडे के सूत्रों के अनुसार, मुफ्ती बैठक में हिस्सा न लेने का विचार बना रही हैं और सात पार्टियों के गुपकर गठबंधन के प्रतिनिधि के तौर पर नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) प्रमुख फारूक अब्दुल्ला को प्रधानमंत्री से मिलने भेज सकती हैं। अब्दुल्ला गुपकर गठबंधन के अध्यक्ष भी हैं।
रिपोर्ट
पार्टी नेताओं के साथ विचार विमर्श के बाद फैसला लेंगे मुफ्ती
सूत्रों के अनुसार, महबूबा मुफ्ती बैठक में शामिल होने पर अंतिम फैसला अपनी पार्टी के नेताओं से विचार विमर्श के बाद लेंगी।
उनके अलावा NC और कांग्रेस ने भी कहा है कि वे अपनी पार्टी के अंदर विचार विमर्श करने के बाद प्रधानमंत्री की बैठक में शामिल होने पर फैसला लेंगे।
इन तीन पार्टियों के अलावा पीपल्स कांन्फ्रेंस और माओवादी कमुनिस्ट पार्टी (CPIM) ने भी बैठक में हिस्सा लेने पर कोई फैसला नहीं लिया है।
बैठक
प्रधानमंत्री ने 24 जून को बुलाई है बैठक
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने 24 जून को जम्मू-कश्मीर की पार्टियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है।
NC, PDP, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी (JKAP), CPIM, भाजपा और कांग्रेस आदि को इस बैठक में बुलाया गया है और ज्यादातर पार्टियों ने न्यौता मिलने की पुष्टि की है। भाजपा और JKAP बैठक में हिस्सा लेने का ऐलान कर चुके हैं।
इस महत्वपूर्ण बैठक में गृह मंत्री अमित शाह समेत अहम केंद्रीय नेता भी शामिल हो सकते हैं।
एजेंडा
जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराना हो सकता है बैठक का एजेंडा
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बुलाई गई इस सर्वदलीय बैठक के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने की तैयारी शुरू करना माना जा रहा है।
ये जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा निरस्त कर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन करने की घोषणा के बाद केंद्र और क्षेत्रीय पार्टियों के बीच पहली वार्ता होगी।
इसमें सरकार परिसीमन अभ्यास और जम्मू-कश्मीर में निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण की प्रक्रिया पर भी चर्चा कर सकती है।
अटकलें
जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक खामोशी तोड़ना चाहती है सरकार
केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई बैठक पर कुछ नेताओं का कहना है कि यह सरकारी की जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक खामोशी को तोड़ने की कोशिश है और सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश देना चाहती है कि कश्मीर में चीजें सामान्य हो रही हैं।
इसे जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की कोशिश भी बताया जा रहा है और इसमें उसका राज्य का दर्जा बहाल करने पर भी चर्चा हो सकती है।
चुनाव
जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार 2014 में हुए थे चुनाव
जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार दिसंबर, 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे और तब यह एक राज्य हुआ करता था। भाजपा और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के गठबंधन की सरकार गिरने के बाद जून, 2018 में यहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।
अगस्त, 2019 में केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति के आदेश के जरिए अनुच्छेद 370 में बदलाव कर राज्य का विशेष दर्जा खत्म कर दिया और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख- में बांट दिया गया।