
पॉलिटिकल हफ्ता: मुख्यमंत्री पद के चेहरे की रेस कैसे हारे नवजोत सिंह सिद्धू?
क्या है खबर?
कांग्रेस ने पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए चरणजीत सिंह चन्नी को अपना मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया है। पार्टी सांसद राहुल गांधी ने आज एक लुधियाना में एक वर्चुअल रैली में इसका ऐलान किया।
इसी के साथ कई बार मुख्यमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षा उजागर कर चुके पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के हाथ एक बार फिर से मायूसी लगी है।
आइए समझने की कोशिश करते हैं कि सिद्धू कैसे चन्नी से मुख्यमंत्री के चेहरे की रेस हारे।
शुरूआत
अमरिंदर सिंह के खिलाफ अभियान से सिद्धू ने किया खुद को आगे
सिद्धू पिछले काफी समय से मुख्यमत्री की कुर्सी पर नजर गड़ाए बैठे थे और इसके लिए उनका संघर्ष तभी शुरू हो गया था जब कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री थे।
अमरिंदर को हटाने और खुद को आगे करने के लिए उन्होंने पूरा एक अभियान चलाया और कई बार सार्वजनिक तौर पर अमरिंदर पर निशाना साधा।
उनका ये "बागी रवैया" काम भी आया और शीर्ष नेतृत्व के दबाव में अमरिंदर ने सितंबर में इस्तीफा दे दिया।
गलती
अमरिंदर के इस्तीफे के बाद सिद्धू ने की बड़ी गलती
सिद्धू की गलतियों का सिलसिला अमरिंदर के इस्तीफे के बाद शुरू हुआ। अमरिंदर के इस्तीफे के बाद भी उन्होंने अपना बागी रवैया नहीं छोड़ा और पार्टी के खिलाफ कई ट्वीट किए।
इससे उन पर शीर्ष नेतृत्व का भरोसा कम हुआ और उनकी एक ऐसे नेता की छवि बन गई जो पार्टी के लिए "आत्मघाती" भी साबित हो सकता है।
इससे पहले राहुल गांधी और प्रियंका गांधी, दोनों ने अमरिंदर के खिलाफ लड़ाई में उनका साथ दिया था।
बड़ा झटका
चन्नी के मुख्यमंत्री बनने से मुश्किल हुई सिद्धू की राह
कांग्रेस नेतृत्व के चन्नी को अमरिंदर का उत्तराधिकारी चुनने से सिद्धू की राह और मुश्किल हो गई।
दरअसल, चन्नी दलित समुदाय से आते हैं और राज्य के पहले दलित मुख्यमंत्री हैं। पंजाब की एक-तिहाई आबादी दलित है और कांग्रेस ने उनके जरिए इसी वोटबैंक को साधने की कोशिश की।
भारतीय राजनीति में एक दलित मुख्यमंत्री बनाने के बाद उसे किनारा करना बेहद मुश्किल होता है और कांग्रेस भी ऐसा करके दलित समुदाय की नाराजगी मोल नहीं ले सकती थी।
संभावनाएं
अगर चन्नी की जगह कोई और मुख्यमंत्री बनाया गया होता तो...
अगर कांग्रेस चन्नी की जगह किसी अन्य नेता को मुख्यमंत्री चुनती तो इससे सिद्धू की राह आसान हो सकती थी। उस नेता के पास दलित समुदाय से होने का वो 'एक्स फैक्टर' नहीं होता जो चन्नी के पास था। सिद्धू उससे बाजी मार सकते थे।
चन्नी के मुख्ययमंत्री बनने के बाद सिद्धू का पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा भी उनके खिलाफ गया और इसने उनके एक अस्थिर नेता होने की छवि को मजबूत किया।
आखिरी गलती
पार्टी को मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करने को कहना रही सिद्धू की आखिरी गलती
शीर्ष नेतृत्व को चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने का अल्टीमेटम देना सिद्धू की आखिरी और निर्णायक गलती रही।
इस रेस में शुरू से ही साफ था कि कांग्रेस चुनाव से पहले चन्नी को किनारे करने का खतरा मोल नहीं ले सकती और सिद्धू भी पार्टी पर अपने हमलों से शीर्ष नेतृत्व का भरोसा खोते गए।
अगर सिद्धू मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करने पर जोर नहीं देते तो भले ही हल्की लेकिन उनकी उम्मीद बनी रहती।
जानकारी
सिद्धू के लिए अब आगे क्या?
सिद्धू का अगला कदम क्या होगा, ये देखना दिलचस्प होगा। वो राहुल के फैसले को स्वीकार करने की बात कह चुके हैं। अगर वे अपने वादे पर टिकते हैं तो उन्हें मुख्यमंत्री बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा।
विधानसभा चुनाव
पंजाब में कब होने हैं विधानसभा चुनाव?
117 विधानसभा सीटों वाले पंजाब में 20 फरवरी को एक चरण में चुनाव होगा और 10 मार्च को नतीजे घोषित किए जाएंगे।
पंजाब में कांग्रेस जहां अपना किला बचाने की कोशिश में है, वहीं आम आदमी पार्टी (AAP) और अकाली दल पिछली हार को भूलकर सत्ता में आने के प्रयास कर रही हैं।
कांग्रेस से अलग होने के बाद अमरिंदर सिंह ने अपनी अलग पार्टी बनाई है और वो भाजपा के साथ मिलकर सत्ता की दावेदारी पेश कर रहे हैं।