राजस्थान: सचिन पायलट का कांग्रेस हाईकमान को अल्टीमेटम, बोले- बिना देरी के मुझे मुख्यमंत्री बनाएं

कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि उन्हें बिना किसी देरी के राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया जाए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पायलट ने पार्टी हाईकमान से कहा है कि अगर पार्टी चाहती है कि वो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में फिर से सत्ता में वापसी करे तो उसे उन्हें जल्द से जल्द राज्य का मुख्यमंत्री बनाना होगा। राज्य में दिसंबर, 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं।
मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने NDTV को बताया कि सचिन पायलट पिछले कुछ हफ्तों में गांधी परिवार के तीनों सदस्यों के साथ तीन बार बैठक कर चुके हैं। इन बैठकों में उन्होंने सोनिया और प्रियंका गांधी से कहा कि अगर उन्हें देरी से मुख्यमंत्री बनाया गया तो पार्टी पंजाब की तरह राजस्थान को भी गंवा सकती है। पंजाब में चुनाव से कुछ समय पहले ही चरणजीत चन्नी को मुुख्यमंत्री बनाया गया था और पार्टी चुनाव हार गई थी।
सूत्रों के अनुसार, पायलट को मनाने के लिए कांग्रेस ने उन्हें प्रियंका गांधी की तरह पार्टी महासचिव बनाने का प्रस्ताव दिया, लेकिन उन्होंने ये कहते हुए इसे ठुकरा दिया कि वो राजस्थान और अपने मूल समर्थन से अलग नहीं होना चाहते। कांग्रेस नेतृत्व ने उन्हें राजस्थान कांग्रेस का प्रमुख बनाने का प्रस्ताव भी दिया, लेकिन उन्होंने ये प्रस्ताव भी ठुकरा दिया। उन्होंने कहा कि 2018 में कांग्रेस को जीत दिलाने से पहले पांच साल राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे।
सूत्रों के अनुसार, पार्टी नेतृत्व ने पायलट से 2023 तक इंतजार करने, अगले चुनाव में पार्टी का नेतृत्व करने और इसके बाद मुख्यमंत्री बनने का प्रस्ताव भी दिया, लेकिन पायलट ने इसे भी ठुकरा दिया और जल्द से जल्द मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग की।
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच बिल्कुल नहीं बनती है और पिछले कई साल से ये कांग्रेस के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है। गहलोत कई बार संकेत दे चुके हैं कि वो मुख्यमंत्री बने रहने के लिए कुछ भी करेंगे। सूत्रों के अनुसार, उन्हें कांग्रेस के अधिकांश विधायकों और समर्थन हासिल है और वो सोनिया के विश्वस्त भी हैं। हाल ही में उन्होने कहा था कि उनका इस्तीफा हमेशा सोनिया के पास रहता है।
अशोक गहलोत और सचिन पायलट के रिश्ते 2018 में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने से ही सहज नहीं हैं। चुनाव से पहले अपनी मेहनत के इलाज के तौर पर पायलट मुख्यमंत्री का पद चाहते थे, लेकिन बाजी गहलोत के हाथ लगी। दोनों के बीच ये टकराव जून, 2020 में तब चरम पर पहुंच गया, जब राज्य सरकार गिराने की साजिश के एक मामले में पायलट को गहलोत के अंतर्गत काम करने वाले स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) से समन मिला।
इस समन के बाद पायलट ने गहलोत सरकार के साथ खुली बगावत कर दी और अपने कुछ समर्थकों के साथ दिल्ली आ गए। उनके खेमे ने अपने साथ 30 विधायक होने का दावा किया और कहा कि गहलोत सरकार अल्पमत में है। अंत में कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व उन्हें मनाने में कामयाब रहा और सरकार गिरने का खतरा टल गया। अब पायलट के नए अल्टीमेटम से लगता है कि उनका संयम एक बार फिर से जवाब दे रहा है।