वाह राजनीति! सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ी तो धोखाधड़ी का मामला शुरू, भाजपा सरकार बनते ही बंद
क्या है खबर?
मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के कुछ घंटों के भीतर खबर आई कि आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ चल रहा मामला बंद कर दिया है।
सिंधिया और उनके परिवार पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर गलत तरीके से जमीन बेचने का आरोप था।
कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद कमलनाथ सरकार ने उनके खिलाफ मामले को फिर से खोलने का फैसला किया था।
आइये, पूरी खबर जानते हैं।
जानकारी
दो सप्ताह के भीतर बंद हुआ मामला
12 मार्च को कमलनाथ के मुख्यमंत्री रहते EOW ने सिंधिया के खिलाफ ग्वालियर में हेरफेर कर जमीन बेचने के मामले को दोबारा से खोला था। अब दो सप्ताह से भी कम समय में यह मामला बंद हो गया है।
बयान
मामले को दोबारा खोलने के वक्त क्या बोले थे अधिकारी
मामले को दोबारा खोलने के वक्त एक अधिकारी ने बताया था कि मामले में शिकायतकर्ता सुरेंद्र श्रीवास्तव ने ग्वालियर में शिकायत दी थी कि सिंधिया ने एक संपत्ति के दस्तावेज में हेरफेर कर 6,000 फुट की जमीन का हिस्सा उन्हें बेचा था।
उन्होंने आरोप लगाया कि सिंधिया ने जानबूझकर दस्तावेज में हेरफेर कर वह जमीन उन्हें बेची थी। ऐसे में इस मामले में निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए। तब शाखा ने मामले के तथ्यों के सत्यापन का फैसला किया था।
जानकारी
शिवराज के मुख्यमंत्री बनते ही सामने आई मामला बंद होने की खबर
कांग्रेस छोड़ने के बाद और कांग्रेस सरकार रहते समय सिंधिया के खिलाफ मामला दर्ज हुआ। भाजपा में शामिल होने के बाद भाजपा की सरकार आते ही उनके खिलाफ मामला बंद होने की खबरें आ गई।
बयान
मामला बंद करने की क्या वजह बता रहे अधिकारी?
इस बारे में बताते हुए शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "शिकायतकर्ता सुरेंद्र श्रीवास्तव 12 मार्च को हमारे पास आए थे और अपनी शिकायत की जांच करने की मांग की। हमने इस शिकायत को हमारे ग्वालियर दफ्तर में भेजा गया। वहां जांच के बाद इस मामले को बंद कर दिया गया।"
सूत्रों के मुताबिक, EOW ने सिंधिया और उनके परिवार के खिलाफ बीते शुक्रवार को ही मामला बंद कर दिया था।
जानकारी
साल 2014 में आई थी शिकायत
आपको बता दें कि शिकायताकर्ता ने इस मामले में सबसे पहले 26 मार्च, 2014 को शिकायत कर सिंधिया के खिलाफ साल 2009 में महलगांव में जमीन बेचने का आरोप लगाया था। शिकायत की जांच के बाद मामले को 2018 में बंद कर दिया गया था।
सियासी घटनाक्रम
होली के दिन दिया था सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा
कांग्रेस से नाराजगी के बीच सिंधिया ने 10 मार्च को पार्टी से इस्तीफा दिया था। उनके बाद उनके समर्थन में छह मंत्रियों समेत 22 विधायकों ने भी अपने इस्तीफे विधानसभा स्पीकर को सौंपे थे। इसके साथ ही कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई थी।
इसके बाद मध्य प्रदेश के राज्यपाल ने कमलनाथ को दो बार बहुमत साबित करने को कहा था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
मध्य प्रदेश
शिवराज सिंह बने मुख्यमंत्री, साबित किया बहुमत
कमलनाथ सरकार गिरने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को चौथी बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
शिवराज दिसंबर 2018 में कांग्रेस की सरकार आने से पहले लगातार तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
मंगलवार को उन्होंने विधानसभा में बहुमत भी हासिल कर लिया। विधानसभा में शिवराज सरकार को कुल 112 विधायकों ने समर्थन दिया।
इसमें भाजपा के 107 के अलावा बसपा-सपा और निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन है।