फारुक अब्दुल्ला के बाद सरकार ने दिया उमर अब्दुल्ला की रिहाई का आदेश, PSA भी हटा
केंद्र सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने के दौरान ऐहतियात के तौर पर हिरासत में लिए गए पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है। सरकार ने इसके लिए मंगलवार को आदेश जारी कर दिए हैं। साथ ही उन पर लगे जन सुरक्षा कानून 1978 (PSA) को भी हटा दिया है। ऐसे में उमर अब्दुल्ला को आखिरकार करीब साढ़े सात महीने बाद हिरासत से रिहाई मिल जाएगी।
अब्दुल्ला पर 5 फरवरी को लगाया गया था जन सुरक्षा कानून
बता दें कि 5 अगस्त को हिरासत में लेने के बाद सरकार ने गत 5 फरवरी को उन पर जन सुरक्षा कानून लगाया था। उसके बाद भी उनकी नजरबंदी को आगे बढ़ा दिया गया था। वह करीब 282 दिनों से नजरबंद थे।
फारूक अब्दुल्ला को 13 मार्च को किया गया था रिहा
आपको बता दें कि सरकार ने गत 13 मार्च को पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला को भी रिहा कर दिया था। उस दौरान सरकार ने उन पर से भी जन सुरक्षा कानून को भी हटा दिया था। उन पर गत 15 सितंबर को PSA लगाया गया था। वह करीब सात महीने तक हिरासत में रहे थे। उनके अलावा अन्य नेताओं की हिरासत को लेकर विपक्षी नेता लगातार सरकार का विरोध कर रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिया था रिहाई तय करने का आदेश
उमर अब्दुल्ला पर लगाए गए PSA को लेकर उनकी बहन सारा पायलट ने गत 10 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उनकी नजरबंदी को चुनौती दी थी। इसी तरह गत 26 फरवरी को महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा ने भी याचिका दायर कर उनकी नजरबंदी को चुनौती दी थी। इसके बाद गत 18 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को अगले सप्ताह तक उमर अब्दुल्ला की रिहाई तय करने का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कही थी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करने की बात
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा था कि यदि अब्दुल्ला को शीघ्र रिहा नहीं किया गया तो वह इस नजरबंदी के खिलाफ उनकी बहन सारा पायलट की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करेंगे।
इन नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर की थी रिहाई की मांग
जम्मू-कश्मीर में पिछले सात माह से नजरबंदी में चल रहे नेताओं की रिहाई लेकर कई बार मांग उठाई जा चुकी है। गत 8 मार्च को भी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्षा ममता बनर्जी, माकपा प्रमुख सीताराम येचुरी सहित विपक्ष के सभी प्रमुख नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृृहमंत्री अमित शाह को संयुक्त पत्र लिखकर तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों सहित अन्य नेताओं की रिहाई की मांग की थी।
सरकार ने 5 अगस्त को लिया था नेताओं को हिरासत में
बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से गत 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाया गया था। उसके बाद से ही पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और कई अलगावदी नेताओं को हिरासत में ले लिया था। हालांकि प्रशासन की ओर से अब तक करीब 20 नेताओं को छोड़ दिया गया है, लेकिन फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती आदि की नजरबंदी बरकरार रखी थी। इन नेताओं पर PSA भी लगाया गया था।