राघव चड्ढा को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ी राहत, नहीं खाली करना होगा सरकारी बंगला
आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अब उन्हें मौजूद टाइप-7 सरकारी बंगला खाली नहीं करना होगा। दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार द्वारा आवंटित बंगले से उनके निष्कासन पर रोक लगाने की उनकी याचिका को स्वीकार कर लिया है। पिछले हफ्ते दिल्ली हाई कोर्ट ने चड्ढा की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। इस याचिका में चड्ढा ने निचली अदालत के एक आदेश को चुनौती दी थी
दिल्ली हाई कोर्ट ने क्या कहा?
इस मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति अनुप जे भंभानी ने कहा कि राज्यसभा सचिवालय के खिलाफ निचली अदालत द्वारा पारित स्थगन आदेश बहाल रहेगा। उन्होंने कहा कि ये रोक तब तक लागू रहेगी जब तक निचली अदालत अंतरिम राहत के लिए चड्ढा के आवेदन पर फैसला नहीं करती। दरअसल, निचली अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि आवास का आवंटन रद्द होने के बाद चड्ढा के पास बंगले पर कब्जा जारी रखने का कोई निहित अधिकार नहीं है।
क्या है मामला?
पिछले साल सितंबर में राजसभा सचिवालय ने चड्ढा को दिल्ली के पंडारा रोड पर टाइप-7 आवास बंगला आवंटित किया गया था। इस साल मार्च में उनका आवंटन रद्द कर दिया गया और कहा कि टाइप-7 आवास उनकी पात्रता से अधिक है। उन्हें टाइप-6 बंगला ही आवंटित किया जा सकता है। चड्ढा ने आवंटन को रद्द करने के खिलाफ दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में मुकदमा दायरा किया और कहा कि ये आवंटन मनमाने ढंग से रद्द किया गया है।
चड्ढा को पहले मिली राहत, फिर मिला कोर्ट से झटका
कोर्ट ने 18 अप्रैल को सचिवालय के आदेश पर रोक लगा दी थी। सचिवालय ने कोर्ट से आदेश की समीक्षा की मांग की और तर्क दिया कि चड्ढा को अंतरिम राहत देते समय नागरिक प्रक्रिया संहिता (CPC) की धारा 80 (2) के तहत प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। सचिवालय के कोर्ट में दलील दी कि चड्ढा को टाइप-6 बंगला आवंटित करने का अधिकार है। 6 अक्टूबर को कोर्ट ने सचिवालय के आदेश को सही ठहराया और रोक हटा दी।
किसके लिए होता है टाइप-7 बंगला?
सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को नई दिल्ली में बंगला आवंटन सामान्य पूल आवासीय आवास अधिनियम के तहत किया जाता है। टाइप-1 से टाइप-4 के बंगले केंद्र सरकार के कर्मचारियों और अधिकारियों को, टाइप-6 से टाइप-8 तक सांसदों, केंद्रीय मंत्रियों, राज्य मंत्रियों को आवंटित किये जाते हैं। इनमें भी एक से ज्यादा बार चुने गए सांसदों को टाइप-7 श्रेणी का बंगला दिया जाता है। टाइप-8 कैबिनेट मंत्री, सुप्रीम कोर्ट के जज, पूर्व प्रधानमंत्री आदि को आवंटित किया जाता है।