जामिया हिंसा: दिल्ली हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का फैसला पलटा, शरजील इमाम पर आरोप तय
क्या है खबर?
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली के जामिया नगर में वर्ष 2019 में हुई हिंसा के मामले में ट्रायल कोर्ट का फैसला आंशिक रूप से पलटते हुए 11 आरोपियों में से 9 आरोपियों पर आरोप तय किए हैं।
इन 9 आरोपियों में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के पूर्व छात्र शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा और सफूरा जरगर भी शामिल हैं।
हाई कोर्ट ने आरोपियों को बरी करने के खिलाफ दाखिल दिल्ली पुलिस की याचिका पर यह फैसला सुनाया है।
आरोप
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा?
दिल्ली हाई कोर्ट ने शरजील समेत अन्य लोगों पर दंगा भड़काने और गैरकानूनी रूप से इकट्ठा होने समेत अन्य धाराओं के तहत आरोप तय किए हैं।
जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि वीडियो में देखा जा सकता है कि आरोपी भीड़ की पहली पंक्ति में थे और वे 'दिल्ली पुलिस मुर्दाबाद' के नारे लगा रहे थे और बैरिकेड्स को धकेल रहे थे।
उन्होंने कहा कि आरोपियों ने जानबूझकर हिंसक भीड़ का हिस्सा बनना चुना था।
मामला
क्या है जामिया नगर में हिंसा का मामला?
15 दिसंबर, 2019 को दिल्ली के जामिया नगर स्थित जामिया यूनिवर्सिटी में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन हुआ था। इन्हीं प्रदर्शनों के दौरान यूनिवर्सिटी के बाहर हिंसा भड़क गई और उपद्रवियों ने बसों को आग के हवाले कर दिया।
उपद्रवियों ने पुलिस पर पत्थरबाजी भी की, जिसके बाद पुलिस ने भीड़ पर काबू पाने के लिए फायरिंग की। तब पुलिस पर बिना इजाजत यूनिवर्सिटी कैंपस में घुसने और छात्रों पर लाठीचार्ज करने का आरोप लगा था।
पृष्ठभूमि
ट्रायल कोर्ट ने 11 आरोपियों को फरवरी में किया था बरी
दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 4 फरवरी को जामिया हिंसा मामले में शरजील और आसिफ समेत 11 आरोपियों को बरी कर दिया था।
कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली पुलिस आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश करने में नाकाम रही और पूरक चार्जशीट दाखिल करने के नाम पर पुराने तथ्यों को पेश किया गया।
कोर्ट ने कहा था कि कोई ऐसा चश्मदीद गवाह मौजूद नहीं है, जो पुष्टि कर सके कि आरोपी हिंसा करने में शामिल थे।
याचिका
दिल्ली पुलिस ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल की थी याचिका
दिल्ली पुलिस ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। दिल्ली पुलिस ने तर्क दिया था कि आरोपियों को बरी करते समय ट्रायल कोर्ट भावनात्मक तरीके से प्रभावित था।
पुलिस ने कहा था कि सामने आई वीडियो को आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त आधार बनाया जाना चाहिए। पुलिस ने हिंसा में घायल लोगों द्वारा आरोपियों की पहचान किए जाने को कार्रवाई का आधार बनाने की दलील भी दी थी।
केस
पुलिस ने किन धाराओं में दर्ज किया था केस?
दिल्ली पुलिस ने शरजील के खिलाफ दंगा भड़काने, भड़काऊ भाषण देने और ऐसी ही अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया था।
शरजील और उनके साथियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 143, 147, 148, 149, 186, 353, 332, 333, 308, 427, 435, 323, 341, 120B और 34 के तहत केस दर्ज किया गया था।
बता दें कि शरजील के खिलाफ 2020 के दिल्ली दंगों में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत भी केस दर्ज हुआ था।