नई संसद में 'सेंगोल' की स्थापना को लेकर विवाद, कांग्रेस और भाजपा में जुबानी जंग तेज
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 22 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इस मौके पर लोकसभा अध्यक्ष की सीट के पास राजदंड 'सेंगोल' स्थापित किया जाएगा।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि इस ऐतिहासिक राजदंड की भारतीय और विशेष रूप से तमिल संस्कृति में महत्वपूर्ण भूमिका है, जिसे कांग्रेस की सरकार ने संग्रहालय में रखकर भुला दिया था।
मामले में अब कांग्रेस और सत्तारूढ़ भाजपा सरकार आमने-सामने है।
आइए जानते हैं कि किसने क्या कहा।
कांग्रेस
कैसे हुई विवाद की शुरूआत?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि नई संसद में सेंगोल को व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी की झूठी कहानियों के आधार पर स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा और RSS ने दावे ज्यादा किए हैं और तथ्य कम सामने रखे।
उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, 'तत्कालीन मद्रास प्रांत में एक धार्मिक प्रतिष्ठान द्वारा एक शाही राजदंड की बात कही गई थी, जिसे मद्रास में तैयार कर अगस्त, 1947 में जवाहरलाल नेहरू को भेंट किया गया।'
झूठ
सेंगोल को सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक मानने का कोई रिकॉर्ड नहीं- कांग्रेस
जयराम ने कहा कि इस बात का कोई रिकॉर्ड नहीं है कि माउंटबेटन, राजाजी और नेहरू ने सेंगोल को अंग्रेजों से भारत को सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक माना था और इस बारे में जो भी दावे किए जा रहे हैं, वे सब फर्जी हैं।
उन्होंने लिखा, 'यह कुछ लोगों के दिमाग की उपज है और झूठ को फैलाया जा रहा है। कांग्रेस की अलोचना की जा रही है कि उसने इतने महत्वपूर्ण प्रतीक को संग्रहालय में रखकर भुला दिया।'
कांग्रेस
कांग्रेस ने और क्या कहा?
जयराम ने ट्विटर पर एक स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा, 'राजदंड को इलाहाबाद संग्रहालय में प्रदर्शन के लिए रखा गया था। 14 दिसंबर, 1947 को नेहरू ने जो कुछ कहा, वह सार्वजनिक रिकॉर्ड में है, भले ही लेबल कुछ भी कहें।'
उनका आरोप है कि राजदंड का इस्तेमाल प्रधानमंत्री मोदी तमिलनाडु में अपने राजनीतिक फायदे के लिए कर रहे हैं और सवाल ये है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नई संसद के उद्घाटन कार्यक्रम में क्यों नहीं बुलाया गया।
भाजपा
अमित शाह का पलटवार, पूछा- कांग्रेस को भारतीय संस्कृति से नफरत क्यों
शाह ने ट्विटर पर लिखा, 'भारतीय सभ्यता और संस्कृति से कांग्रेस इतनी नफरत क्यों करती है। तमिलनाडु के पुरोहित ने पंडित नेहरू को पवित्र सेंगोल सौंपा था। यह भारत की स्वतंत्रता का प्रतीक था, लेकिन इसे 'चलने की छड़ी' बताकर संग्रहालय में रख दिया गया।'
उन्होंने कहा, 'अब कांग्रेस ने एक और अपमान किया है। एक पवित्र शैव मठ, थिरुवदुथुराई अधीनम, ने स्वयं स्वतंत्रता के समय सेंगोल के महत्व के बारे में बताया था, जिसे कांग्रेस झूठ बता रही है।'
नड्डा
जेपी नड्डा बोले- नई संसद का बहिष्कार संविधान निर्माताओं का अपमान
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ट्विटर पर लिखा, 'नई संसद का बहिष्कार संविधान के निर्माताओं का अपमान है। परिवारवाद को बढ़ाने वाली ये पार्टियां, विशेष रूप से कांग्रेस और नेहरू-गांधी राजवंश, एक साधारण तथ्य को पचा नहीं पा रहे हैं कि देश के लोगों ने एक विनम्र पृष्ठभूमि से आने वाले व्यक्ति में अपना विश्वास दिखाया है।'
उन्होंने लिखा, 'नई संसद का उद्घाटन का बहिष्कार इन परिवारवादी पार्टियों की अभिजात्य मानसिकता है, जो उन्हें तार्किक सोच से रोक रही है।'
बयान
विपक्षी पार्टियों के लिए देश से ऊपर है राजनीति- नड्डा
नड्डा ने लिखा, 'नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने वाली अधिकांश पार्टियां परिवारवाद को समर्थित पार्टियां हैं, जिनकी राजशाही पद्धतियां हमारे संविधान में गणतंत्रवाद और लोकतंत्र के सिद्धांतों के विरोध में हैं।'
उन्होंने लिखा, 'भारत के लोग देख रहे हैं कि कैसे ये परिवारवाद को बढ़ावा देने वाली पार्टियां राजनीति को देश से ऊपर रख रही हैं। इन पार्टियों को उनकी दलगत राजनीति की जनता फिर से सजा देगी।'
सेंगोल
सेंगोल का क्या है महत्व?
चोल काल के दौरान राजाओं के राज्याभिषेक समारोहों में सेंगोल का ऐतिहासिक महत्व था। यह राजा के राजदंड के रूप में कार्य करता था और इसमें नक्काशी और सजावटी तत्व शामिल है। इसका अर्थ 'संपदा से संपन्न' होता है, जो चोल राजाओं की शक्ति और संप्रभुता के प्रतीक के रूप में उभरा।
सेंगोल को अधिकार का एक पवित्र प्रतीक माना जाता था, जो एक राजा से दूसरे राजा के बीच सत्ता के हस्तांतरण का प्रतिनिधित्व करता था।
विवाद
क्या है नए संसद भवन के उद्घाटन पर विवाद?
कांग्रेस समेत 19 विपक्षी पार्टियों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का ऐलान किया है।
विपक्षी पार्टियों का कहना है कि इस नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी नहीं, बल्कि राष्ट्रपति मुर्मू को करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने आज नए संसद भवन के उद्घाटन से जुड़ी एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें राष्ट्रपति से भवन का उद्घाटन कराने का निर्देश देने की मांग की गई थी।