प्रियंका गांधी नहीं लड़ेंगी लोकसभा चुनाव, पार्टी को मजबूत करने पर देना चाहती हैं पूरा ध्यान
हाल ही में पार्टी महासचिव के पद से सक्रिय राजनीति में कदम रखने वाली प्रियंका गांधी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। सूत्रों के हवाले से प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की छोटी बहन प्रियंका लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रचार और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने पर पूरा ध्यान देना चाहती हैं। बता दें कि उनकी राजनीति में एंट्री के बाद से ही कांग्रेस कार्यकर्ता उनके चुनाव लड़ने की मांग कर रहे थे।
मोदी के खिलाफ बनारस से लड़ने की मांग कर रहे थे कांग्रेस कार्यकर्ता
सूत्रों के अनुसार, प्रियंका गांधी चुनाव लड़ने की बजाय अपना पूरा ध्यान कांग्रेस को मजबूत करने पर लगाएंगी। सूत्र ने बताया, "चुनाव प्रचार और महासचिव के तौर पर अपनी जिम्मेदारी पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए प्रियंका गांधी ने फैसला किया है कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगी।" यह बात ऐसे समय में सामने आई है जब कई कांग्रेस कार्यकर्ता प्रियंका से प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ बनारस से चुनाव लड़ने का आग्रह कर रहे थे।
नेहरू और सोनिया गांधी की सीट से चुनाव लड़ने की थी अटकलें
बता दें कि इससे पहले यह खबर भी आई थी कि प्रियंका अपनी मां सोनिया गांधी की सीट रायबरेली से चुनाव लड़ सकती हैं। लेकिन यूपी में कांग्रेस उम्मीदवारों की हाल ही में जारी हुई सूची में रायबरेली से सोनिया का नाम होने के बाद इन अटकलों पर विराम लग गया था। इसके अलावा उनकी अपने परदादा जवाहर लाल नेहरू की सीट फूलपुर से लड़ने की अटकलें भी लगी थी। अब इन सारी अटकलों पर विराम लग गया है।
11 अप्रैल से शुरु होने है लोकसभा चुनाव
बीते रविवार को ही चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया है। चुनाव 11 अप्रैल से 19 मई के बीच 7 चरणों में होंगे। परिणाम 23 मई को आएगा। यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल में सातों चरणों में चुनाव होंगे।
क्या है प्रियंका के फैसले के पीछे वजह?
प्रियंका के चुनाव न लड़ने के फैसले के पीछे एक अहम कारण उनको दी गई बड़ी जिम्मेदारी है। प्रियंका के जरिए कांग्रेस पूर्वी यूपी के मतदाताओं को ही नहीं बल्कि देशभर में लोगों को लुभाना चाहती है और इसलिए वह पूरे देश में चुनाव प्रचार भी कर सकती हैं। अगर वह चुनाव लड़ती तो अपनी सीट पर भी ज्यादा वक्त देना होता और ऐसे में कांग्रेस देशभर में उनके जरिए हो सकने वाले राजनीतिक लाभ को गंवा देती।
बेहद कठिन है प्रियंका की आगे की राह
बता दें कि साल की शुरुआत में राहुल गांधी ने अपनी बहन प्रियंका के राजनीति में उतरने की घोषणा करके सनसनी मचा दी थी। प्रियंका को पार्टी महासचिव बनाया गया है और वह पूर्वी उत्तर प्रदेश की 40 सीटों को प्रभार संभालेंगी। यह क्षेत्र भाजपा का गढ़ है। प्रधानमंत्री मोदी और सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक क्षेत्र भी यही है। ऐसे में कांग्रेस का ट्रंप कार्ड मानी जा रहीं प्रियंका के लिए आगे कड़ी चुनौती है।