मध्य प्रदेश: राज्यपाल से मिले मुख्यमंत्री कमलनाथ, कहा- फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार
22 कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे से पैदा हुए सियासी संकट के बीच मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ आज राज्यपाल लालजी टंडन से मिले। राज्यपाल को सौंपे अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि वे राज्य विधानसभा के अगले सत्र में स्पीकर द्वारा तय की गई किसी भी तारीख को फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हैं। अपने इस पत्र में भाजपा पर जमकर हमला बोलते हुए उन्होंने उस पर विधायकों की खरीद-फरोख्त करने का आरोप लगाया है।
क्या है मध्य प्रदेश का सियासी संकट?
मध्य प्रदेश का सियासी संकट मंगलवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे के साथ शुरू हुआ। उनके इस्तीफे के बाद उनके खेमे के 22 कांग्रेस विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया जिनमें छह मंत्री भी शामिल हैं। विधानसभा स्पीकर नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने अभी तक इन विधायकों का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है और बागी विधायकों से उनसे मिलकर इस्तीफा सौंपने को कहा है। इन इस्तीफों ने कांग्रेस सरकार के बहुमत में होने पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
राज्यपाल से बोले कमलनाथ- फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार
इन्हीं सवालों के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ आज सुबह राज्यपाल लालजी टंडन से मिले और अपना बहुमत साबित करने की इच्छा जाहिर की। राज्यपाल को सौंपे पत्र में उन्होंने लिखा है, 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का एक जिम्मेदार नेता होने के नाते मैं 16 मार्च, 2020 से शुरू हो रहे मध्य प्रदेश विधानसभा के आगामी सत्र में स्पीकर द्वारा तय की गई तारीख को फ्लोर टेस्ट का आमंत्रण देता हूं और इसका स्वागत करूंगा।'
"संविधान और इसके मूल्यों को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे"
भाजपा पर कांग्रेस विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाते हुए कमलनाथ ने भाजपा के प्रयासों को अनैतिक और गैरकानूनी बताया है। भाजपा के प्रयासों से लोकतंत्र के खतरे में होने की बात कहते हुए उन्होंने लिखा है, "हम मध्य प्रदेश के लोगों को आश्वासन देना चाहते हैं कि हम लोकतंत्र और विधायी प्रक्रिया की जीत सुनिश्चित करने और संविधान और इसमें निहित मूल्यों को बनाए रखने में कोई कसर नहीं छोंड़ेगे।"
बागी विधायकों को मनाने का प्रयास कर रही कांग्रेस
इस बीच कांग्रेस लगातार अपने बागी विधायकों को वापस लाने के प्रयासों में लगी हुई है जो बेंगलुरू के एक होटल में ठहरे हुए हैं। विधानसभा स्पीकर प्रजापति ने इनमें से 13 विधायकों को नोटिस जारी कर शुक्रवार और शनिवार को उनसे मिलने को कहा है। कांग्रेस स्पीकर से मिलने आ रहे इन विधायकों को मनाने की कोशिश में है लेकिन अभी तक उनसे संपर्क कर पाने में नाकाम रही है। इनमें इस्तीफा देने वाले छह मंत्री भी शामिल हैं।
बागी विधायकों का इस्तीफा स्वीकार हुआ तो गिर जाएगी कांग्रेस सरकार
अगर कांग्रेस के 22 बागी विधायकों का इस्तीफा स्वीकार होता है तो कांग्रेस की सरकार गिरना तय है। 230 सदस्यीय राज्य विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 116 है। कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं और वो बसपा के दो, सपा के एक और चार निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार चला रही है। बागी विधायकों का इस्तीफा स्वीकार होने पर कांग्रेस सरकार को समर्थन देने वाले विधायकों की संख्या गिरकर 99 रह जाएगी और उसकी सरकार गिर जाएगी।