उत्तर प्रदेश में भाजपा को एक और झटका, अब वन और पर्यावरण मंत्री ने दिया इस्तीफा

उत्तर प्रदेश में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनावों में फिर से सत्ता हासिल करने की तैयारियों में जुटी भाजपा को बुधवार को एक और बड़ा झटका लगा है। मंगलवार को श्रम एवं सेवायोजन व समन्वय मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफा देने के बाद बुधवार को राज्य के वन और पर्यावरण मंत्री दारा सिंह चौहान ने भी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इसके लिए सरकार द्वारा पिछड़ों और दलितों की उपेक्षा किए जाने को कारण बताया है।
Uttar Pradesh cabinet Minister and BJP leader Dara Singh Chauhan quits from his post pic.twitter.com/PWvCNUq4zm
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 12, 2022
राज्य में वन एवं पर्यावरण और जन्तु उद्यान मंत्री चौहान ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को अपना इस्तीफा भेजा है। इसमें उन्होंने लिखा, 'वन एवं पर्यावरण और जन्तु उद्यान मंत्री के रूप में मैने पूरे मनायोग से विभाग की बेहतरी के लिए काम किया है, लेकिन सरकार के पिछड़ों, वंचितों, दलितों, किसानों और बेरोजगार नौजवानों की घोर उपेक्षात्मक रवैए और पिछड़ों और दलितों के आरक्षण के साथ हुए खिलावाड़ से आहत होकर मैं मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दे रहा हूं।'
बता दें कि मंत्री चौहान राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से आते हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य की तरह वह भी भाजपा में आने से पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रमुख नेता थे। हालांकि, साल 2015 में वह मायावती को साथ छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। तीन के बार के सांसद को तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने सदस्यता दिलाई थी। साल 2017 में मधुबन विधानसभा सीट से जीतने के बाद उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था।
बता दें कि मंगलवार को श्रम एवं सेवायोजन और समन्वय मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने इस्तीफे में कहा था कि वह सरकार के दलितों, पिछड़ों, किसानों बेरोजगार नौजवानों एवं छोटे, लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों के प्रति घोर उपेक्षात्मक रवैये के कारण मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने कहा था कि सरकार ने लोगों के खिलाफ काम किया। उन्होंने कई बार असंतोष भी जताया, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
मौर्य ने कहा है कि उनका भाजपा में वापस जाने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने अभी तक समाजवादी पार्टी में जाने पर कोई फैसला नहीं लिया है और 14 जनवरी को अपने पत्ते खोलेंगे। भाजपा छोड़ने पर अखिलेश यादव ने उन्हें बधाई दी है।
मंत्री मौर्य के इस्तीफे के बाद चार अन्य विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया था। इनमें बांदा जिले के तिंदवारी विधायक ब्रजेश प्रजापति, शाहजहांपुर की तिलहर सीट से विधायक रोशनलाल वर्मा, कानपुर के बिल्हौर से विधायक भगवती सागर और विधायक विनय शाक्य शामिल हैं। इस्तीफे के बाद विधायक रोशनलाल ने कहा था कि योगी सरकार उनकी शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं की। इस कारण उन्हें इस्तीफा देने का निर्णय लेना पड़ा है।
मौर्य और चौहान सहित अन्य विधायकों के इस्तीफे को भाजपा के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। दोनों OBC वर्ग के बड़े नेता माने जाते हैं और पिछले चुनाव में उनके कारण भाजपा को इस वर्ग का वोट हासिल करने में बड़ी मदद मिली थी। यूं तो भाजपा के पास अभी भी उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य के रूप में एक और OBC नेता है, लेकिन चुनाव से ठीक पहले लगे ये झटके उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं।
चुनाव आयोग की ओर से घोषित किए गए कार्यक्रम के अनुसार उत्तर प्रदेश में सात चरणों में चुनाव होंगे। इसके तहत 10 फरवरी, 14 फरवरी, 20 फरवरी, 23 फरवरी, 27 फरवरी, 3 मार्च और 7 मार्च को वोट डाले जाएंगे। इसके बाद उत्तर प्रदेश और चार अन्य राज्यों की मतगणना 10 मार्च को होगी और उसी दिन परिणाम घोषित किए जाएंगे। राज्य में भाजपा, कांग्रेस, सपा, बसपा, आम आदमी पार्टी (AAP) सहित कई अन्य प्रमुख दल मैदान में हैं।