स्लिप डिस्क: जानिए रीढ़ की हड्डी से जुड़ी इस समस्या के कारण, लक्षण और बचाव
रीढ़ की हड्डी में मौजूद हड्डियों को सहारा देने के लिए इनके बीच में छोटी-छोटी गद्देदार डिस्क होती हैं। ये डिस्क रीढ़ की हड्डी को लचीला रखती हैं। लेकिन अगर किसी कारणवश इन डिस्क में से कोई डिस्क क्षतिग्रस्त होकर सूज जाए या फिर टूटकर खुल जाए तो स्लिप डिस्क की समस्या हो जाती है। आइए आज हम आपको इसी समस्या से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताते हैं ताकि आप समय रहते इससे बच सकें।
स्लिप डिस्क के कारण
रीढ़ की हड्डी पर अचानक से झटका या फिर चोट लगने से इसकी डिस्क भी प्रभावित होती है और इस वजह से स्लिप डिस्क की समस्या हो सकती है। इसके अलावा बढ़ती उम्र के साथ-साथ रीढ़ की हड्डी में कमजोरी आने लगती है जिससे इसके बीच में मौजूद डिस्क क्षतिग्रस्त हो सकती हैं और स्लिप डिस्क की चपेट में आ सकती हैं। रीढ़ की हड्डी पर अधिक दबाव पड़ते रहने से भी स्लिप डिस्क की समस्या हो सकती है।
स्लिप डिस्क के लक्षण
पीठ के निचले हिस्से में दर्द, जलन और झनझनाहट महसूस होना स्लिप डिस्क की समस्या के मुख्य लक्षण हैं। इसके अलावा मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होना, कंधों या बाजुओं में सुन्नपन का अहसास, उठने-बैठने में काफी परेशानी होना भी स्लिप डिस्क के लक्षण हैं। इसके साथ ही गर्दन को पीछे की ओर झुकाने पर और अधिक चलने पर दर्द होना या अधिक देर खड़े होने पर पैरों में दर्द होना भी स्लिप डिस्क के सामान्य लक्षण हैं।
स्लिप डिस्क का कैसे पता लगाया जा सकता है?
अगर आपको खुद में स्लिप डिस्क की समस्या के लक्षण दिखने लगें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें ताकि समय रहते समस्या के जोखिमों को कम किया जा सके। इसके लिए डॉक्टर आपको एक्स-रे, CT स्कैन और MRI स्कैन कराने की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा स्लिप डिस्क का पता लगाने के लिए डिस्कोग्राम टेस्ट या माइलोग्राम टेस्ट को भी बेहतर माना जाता है क्योंकि इससे रीढ़ की हड्डी की स्थिति का पता लगाना आसान होता है।
स्लिप डिस्क से बचाव के उपाय
अपने शारीरिक वजन को संतुलित रखने की कोशिश करें ताकि यह रीढ़ की हड्डी पर दबाव का कारण न बनें। अगर आप किसी तरह का वजन उठा रहे है तो सही तकनीक का इस्तेमाल करें। स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल करें और धूम्रपान और अल्कोहल आदि से दूरी बनाकर रखें। रोजाना भरपूर नींद लें और एक्सरसाइज के साथ-साथ कुछ योगाभ्यास करें। उठते और बैठते समय अपने शारीरिक पॉश्चर को सही रखें।