फलों का जूस पीना हमेशा स्वास्थ्यवर्धक नहीं होता, जानिए कितना सेवन करना है ठीक
जूस पीना सेहत के लिए लाभदायक होता है, ये बात आपने न जाने कितने लोगों से सुनी होगी और कई पोषण विशेष भी इन्हें डाइट में शामिल करने की सलाह देते हैं। हालांकि, रोजाना एक गिलास जूस पीना या जूस पर ही निर्भर रहना उतना स्वास्थ्यवर्धक नहीं होता, जितना माना जाता है। आइए जानते हैं कि जूस का कितना सेवन करना चाहिए और इसे कैसे बनाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।
जूस से ज्यादा अच्छा है फलों को खाना
फलों में फाइबर की अच्छी-खासी मात्रा होती है, लेकिन इनसे जूस बनाकर इसे छाना जाता है तो अधिकांश फाइबर निकल जाता है। फाइबर के बिना फलों का जूस ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ा सकता है। फलों के जूस में एक पूरे फल के मुकाबले ज्यादा कैलोरी होती है क्योंकि जूस में कई सारे फल डाले जाते हैं और इससे वजन बढ़ना तय है। जूस निकालने से फलों में मौजूद पोषक तत्वों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
जूस बनाने का तरीका होना चाहिए सही- विशेषज्ञ
फलों के जूस को लेकर अलग-अलग धारणाएं है, लेकिन इन पर आंखें बंद करके विश्वास नहीं करना चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि फलों का जूस तभी फायदेमंद है, जब इसे बनाने का तरीका सही हो। इसके अतिरिक्त इसका सेवन थोड़ा करना चाहिए। उदहारण के लिए, जूस बनाते समय चीनी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और इसमें थोड़ा पानी जरूर मिलाएं। इसके अतिरिक्त रोजाना 300 ML से ज्यादा जूस न पीएं।
जूस पीने के फायदे
फलों का जूस शरीर को हाइड्रेट रखने और ठंडक देने में मदद कर सकता है। जूस में विटामिन-C और फ्लेवोनोइड जैसे एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में हानिकारक मुक्त कणों को बेअसर करने समेत ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में सहायक हो सकते हैं। फलों का जूस प्राकृतिक शर्करा और इलेक्ट्रोलाइट्स प्रदान कर सकता है, जिस कारण यह कसरत के बाद की रिकवरी के लिए संभावित रूप से फायदेमंद साबित हो सकता है।
चीनी युक्त जूस पीने से होने वाले नुकसान
चीनी युक्त जूस का सेवन या ज्यादा जूस पीने से ब्लड शुगर का स्तर बढ़ सकता है, जिससे मधुमेह होने की संभावना बढ़ सकती है। रोजाना चीनी वाला जूस पीने से दांतों से जुड़ी दिक्कतें भी हो सकती हैं, जिसमें कैविटी, दांतों में दर्द और प्लाक का बढ़ना शामिल है। इस तरह का जूस शरीर में पोषक तत्वों का संतुलन भी बिगाड़ सकता है। इससे बेहतर यही होगा कि साबुत फलों का सेवन किया जाए।