4 दिनों तक चलता है पोंगल का उत्सव, जानिए हर दिन का महत्त्व और परंपरा
क्या है खबर?
पोंगल दक्षिण भारत में स्थित तमिलनाडु और केरल का प्रमुख पर्व होता है, जो कि 14 जनवरी से शुरू होने वाला है।
यह त्योहार फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है और सूर्य देव को समर्पित होता है।
पोंगल उस पकवान को कहते हैं, जो इस पर्व पर बनाया जाता है। इस पावन त्योहार का उत्सव 4 दिनों तक चलता है और हर दिन के अपने खास रिवाज और महत्त्व होते हैं।
#1
भोगी पोंगल
पोंगल का पहला दिन भोगी पोंगल कहलाता है, जिस दिन पुरानी चीजों को फेंका जाता है और नए साल का स्वागत किया जाता है।
इस त्योहार का जश्न मनाने के लिए घरों की सफाई की जाती है और अलाव जलाए जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार, ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है।
धन और वैभव पाने के लिए लोग घरों में सुंदर रंगोली या कोलम बनाते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और अपने घरों को सजाते हैं।
#2
सूर्य पोंगल
पोंगल के दूसरे दिन को सूर्य पोंगल कहा जाता है, क्योंकि इस दिन सूर्य देव की पूजा होती है। इस दौरान, सभी घरों में एक विशेष व्यंजन बनता है, जिसे तैयार करने के लिए चावल और दूध को पकाया जाता है।
जब दूध बर्तन से उबलने लगता है, तब सभी लोग हर्षों-उल्लास के साथ 'पोंगालो पोंगल' कहते हैं और सूर्य देव को प्रसाद अर्पित करते हैं।
यह दिन पोंगल उत्सव का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है।
#3
मट्टू पोंगल
पोंगल का तीसरा दिन मट्टू पोंगल होता है, जिस दौरान पशुओं की पूजा की जाती है। किसान अपने मवेशियों को नहलाते हैं, मालाओं से सजाते हैं और खेती में उनके योगदान के लिए उन्हें धन्यवाद कहते हैं।
इस उत्सव की शुरुआत बैलों और गायों को नहलाने और उनका भव्य श्रृंगार करने से होती है। बाद में, उनकी सींगों पर फूलों की सुंदर मालाएं लटकाई जाती हैं।
अंत में उनकी आरती की जाती है और उनके पैर छुए जाते हैं।
#4
कन्नुम पोंगल
पोंगल पर्व के चौथे और आखरी दिन को कन्नुम पोंगल कहा जाता है। इस खास दिन पर सभी लोग अपने परिवार के साथ मिलकर जश्न मनाते हैं और भोजन करते हैं।
इस दिन 'पोंगल भोजनम' बनाया जाता है, जिसे तैयार करने के लिए ताजे कटे हुए अनाज का इस्तेमाल होता है।
इस दिन सभी लोग अपने-अपने रिश्तेदारों के घर जाते हैं और उन्हें बधाई देते हैं।
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