वायनाड भूस्खलन पर नहीं मिली केंद्र से कोई विशेष सहायता, मुख्यमंत्री पिनरई विजयन का दावा
केरल के वायनाड में हुए विनाशकारी भूस्खलन को लेकर अभी तक केंद्र सरकार से कोई विशेष सहायता नहीं मिली है। यह जानकारी मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने दी है। कैबिनेट बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री विजयन ने कहा राज्य सरकार एक बार फिर केंद्र से भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों के लिए उचित सहायता प्रदान करने का अनुरोध करेगी। विजयन ने बताया कि केंद्र सरकार ने अभी तक वायनाड जिले कोई विशेष सहायता नहीं दी है।
219.2 करोड़ रुपये का अनुरोध किया है- मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ने बताया, "राज्य सरकार ने इस वर्ष के राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष के लिए केंद्रीय आवंटन के अलावा आपातकालीन राहत सहायता के रूप में 219.2 करोड़ रुपये का अनुरोध किया है। आवंटित राशि में 145.6 करोड़ रुपये कोष के लिए पहली किस्त के रूप में स्वीकृत किए गए हैं।" विजयन ने बताया, "प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) से पता चला कि 145.6 करोड़ रुपये की दूसरी किस्त अग्रिम के रूप में स्वीकृत की गई है, जो एक सामान्य प्रक्रिया है।"
पुनर्वास के लिए बनेगी आदर्श टाउनशिप
विजयन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अगस्त को आपदाग्रस्त वायनाड का दौरा कर राज्य को आवश्यक सहायता और धन की कोई कमी न होने का वादा किया था। विजयन ने घोषणा की कि कैबिनेट ने मेप्पाडी पंचायत में नेदुम्बाला एस्टेट और कलपेट्टा नगरपालिका में एलस्टोन एस्टेट को भूस्खलन पीड़ितों के पुनर्वास के लिए आदर्श टाउनशिप के लिए चुना है। पुनर्वास 2 चरणों में होगा, जिसमें आपदा में अपना घर-जमीन खोने वाले और क्षतिग्रस्त घर वाले शामिल होंगे।
पीड़ितों को वित्तीय सहायता का ऐलान
मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि राज्य का महिला और बाल विकास विभाग भूस्खलन में अपने दोनों माता-पिता को खोने वाले 6 बच्चों को 10 लाख रुपये और एक माता-पिता खोने वाले 8 बच्चों को 5 लाख रुपये देगा। राज्य सरकार 24 वर्षीय श्रुति को भी सरकारी नौकरी देगी, जिसने वायनाड आपदा में अपना पूरा परिवार खो दिया और उसके बाद, उसके मंगेतर की भी हाल ही में एक कार दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।
भूस्खलन में हुई थी 340 से अधिक मौत
29 जुलाई की रात 1 से 4 बजे के बीच वायनाड के चूरालमाला और मुंडाक्कई जैसे इलाकों में 3 बार भूस्खलन हुआ। इससे भारी तबाही मच गई और सैकड़ों लोग बह गए। पहले 11 लोगों के मरने की खबर मिली, लेकिन जैसे-जैसे बचाव कार्य बढ़ता गया, मृतकों की संख्या भी बढ़ती गई। आपदा में 340 से अधिक की जान गई है, जिसमें कई के सिर्फ क्षतिग्रस्त अंग मिले। राहुल गांधी ने इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की थी।