भारत के राज्यों में अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है मकर संक्रांति का त्योहार
क्या है खबर?
मकर संक्रांति भारत के अहम त्योहारों में से एक है, जिसे सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है।
यह त्योहार देश के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न नामों और तरीकों से मनाया जाता है। हर राज्य में इस त्योहार का महत्व खास होता है और लोग इसे अपने अनोखे अंदाज में मनाते हैं।
इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे भारत के विभिन्न राज्य इस त्योहार को अपनी खास परंपराओं और रीति-रिवाजों के साथ मनाते हैं।
#1
पंजाब और हरियाणा: लोहड़ी का उत्सव
पंजाब और हरियाणा में मकर संक्रांति को लोहड़ी के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है।
यह त्योहार फसल कटाई का प्रतीक होता है, जहां लोग आग जलाकर उसके चारों ओर नाच-गाना करते हैं। गन्ना, तिल, मूंगफली और रेवड़ी जैसी चीजें आग में अर्पित की जाती हैं।
लोग पारंपरिक पंजाबी गीत गाते हुए भांगड़ा करते हैं और एक-दूसरे को मिठाइयां बांटते हैं।
लोहड़ी की रात को परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खुशियां बांटी जाती हैं।
#2
गुजरात: पतंगबाजी का रोमांचक अनुभव
गुजरात में मकर संक्रांति को उत्तरायण कहा जाता है, जहां पतंगबाजी मुख्य आकर्षण होती है।
इस दिन आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है और लोग छतों पर खड़े होकर पतंग उड़ाने का आनंद लेते हैं।
सुबह से शाम तक चलने वाली इस गतिविधि में बच्चे-बूढ़े सभी शामिल होते हैं। बाजारों में विशेष रूप से पतंगें बिकती हैं और प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं।
उत्तरायण पर तिल गुड़ की मिठाइयां बनाकर रिश्तेदारों को उपहार स्वरूप दी जाती हैं।
#3
तमिलनाडु: पोंगल की धूमधाम
तमिलनाडु में मकर संक्रांति पोंगल नामक चार दिवसीय त्योहार के रूप में मनाई जाती है।
पहले दिन भोगी पांडिगई होता है, जिसमें पुराने सामान जलाए जाते हैं। दूसरे दिन थाई पोंगल होता है जब चावल पकाकर सूर्य देवता को अर्पित किया जाता है।
तीसरे दिन मातु पोंगल होता है, जिसमें गाय-भैंस सजाई जाती हैं, जबकि चौथे दिन कानुम पोंगल होता है, जिसमें परिवार बाहर घूमने जाते या रिश्तेदार मिलते-जुलते हैं।
#4
महाराष्ट्र: हल्दी-कुमकुम समारोह
महाराष्ट्र में मकर संक्रांति के अवसर पर महिलाएं हल्दी-कुमकुम समारोह आयोजित करती हैं, जिसमें वे एक-दूसरे के घर जाकर हल्दी-कुमकुम लगाती हैं और तिल गुड़ देती हैं। इसे सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
घरों को सजाया जाता है और पारंपरिक व्यंजन जैसे पूरण पोली बनाए जाते हैं। बच्चे पतंगे उड़ाते हैं, जिससे आसमान रंगीन हो उठता है।
यह पर्व सामाजिक मेलजोल को बढ़ावा देता है, जहां लोग एक-दूसरे से मिलते-जुलते हैं और खुशियां बांटते हैं।
#5
असम: बिहू का उल्लास
असम में बिहू का त्योहार साल में तीन बार आता है, लेकिन जनवरी में मनाया जाने वाला माघ बिहू खास होता है क्योंकि यह फसल कटाई के बाद आता है। इस दौरान लोग नाच-गाना कर खुशियां मनाते हैं और पारंपरिक व्यंजन जैसे पीठा-पोला बनाते हैं।
गांवों में सामूहिक भोज का आयोजन होता है, जहां सभी मिलकर खाते-पीते और हंसते-बोलते हैं।
इस आपसी मेलजोल से प्रेम और भाईचारा बढ़ता है, जो समाज को एकजुट करता है।