क्या है आंखों की बीमारी 'ट्रेकोमा', जिसका भारत में खात्मा हुआ?
ट्रेकोमा आंखों की बीमारी, जिसके बढ़ते मामले दुनियाभर में चिंता का विषय बन गए हैं क्योंकि यह बीमारी विश्व स्तर पर अंधेपन के प्रमुख कारणों में से एक है। हालांकि, दशकों तक इस बीमारी से लड़ने के बाद आखिरकार भारत ट्रेकोमा मुक्त हो चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दक्षिण पूर्वी एशिया का तीसरा देश बन गया है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्या है ट्रेकोमा?
ट्रेकोमा एक तरह का संक्रमण है, जो आंखों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। यह संक्रमण क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस बैक्टीरिया के कारण होता है। वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसी का अनुमान है कि दुनियाभर में 1500 लाख लोग ट्रेकोमा से ग्रस्त हैं और उनमें से 60 लाख लोग अंधे हैं या आंखों की रोशनी से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इस बीमारी के कारण अंधे होने की संभावना 4 गुना अधिक है।
ट्रेकोमा के फैलने का कारण
यह एक संक्रामक बीमारी है, जो संक्रमित लोगों की आंखों, पलकों, नाक या गले के स्राव के संपर्क में आने से या अप्रत्यक्ष रूप से उन मक्खियों के माध्यम से फैलता है, जो इन स्रावों के संपर्क में आती हैं। इसके अतिरिक्त खराब स्वच्छता, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर ज्यादा जाना, साफ पानी न पीना और बाहरी खाना भी ट्रेकोमा को फैलाने का कारण बन सकता है।
ट्रेकोमा से जुड़े लक्षण
ट्रेकोमा होने पर सबसे पहले व्यक्ति की आंखें लाल हो जाती हैं। इसके अतिरिक्त इसके लक्षणों में आंखों और पलकों में खुजली, जलन और आंखों से पानी निकलना शामिल है। देखने में दिकक्त होना भी इसका लक्षण है। WHO के अनुसार, इस बीमारी के कारण पलकें अंदर की ओर मुड़ने भी लगती हैं। ये लक्षण आमतौर पर 30 से 40 साल की उम्र के बीच दिखाई देते हैं।
ट्रेकोमा से बचाव के उपाय और इलाज
एजिथ्रोमाइसिन जैसी एंटीबायोटिक दवाओं के जरिए ट्रेकोमा का इलाज किया जा सकता है। हालांकि, अगर स्थिति गंभीर हो तो व्यक्ति को अंधेपन से बचाने के लिए उसकी सर्जरी की जाती है। वहीं बचाव के तौर पर लोग चेहरे की स्वच्छता पर ध्यान दें, साफ खान-पान का सेवन करें और अपने आसपास भी स्वच्छता बनाए रखें। इसके अतिरिक्त अगर आंखों पर जलन या पलकों पर खुजली हो तो आंखों को रगड़ने की बजाय तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।