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कुत्ते-बिल्ली पालने से बढ़ती उम्र के साथ भी तेज रहता है दिमाग, अध्ययन में हुआ खुलासा

कुत्ते-बिल्ली पालने से बढ़ती उम्र के साथ भी तेज रहता है दिमाग, अध्ययन में हुआ खुलासा

लेखन सयाली
Jul 05, 2025
03:09 pm

क्या है खबर?

कुत्ते और बिल्लियां बेहद प्यारे पालतू जानवर होते हैं, जो लोगों के जीवन में खुशियां भर देते हैं। ये जानवर अपने मालिकों से बहुत प्यार करते हैं और इनकी उपस्थिति के चलते उनका मानसिक स्वास्थ्य दुरुस्त रहता है। हालांकि, कुत्ते और बिल्लियां पालने से दिमाग को स्वस्थ रखने में भी मदद मिल सकती है। हाल ही में एक अध्ययन किया गया है, जो कहता है कि कुत्ता-बिल्ली पालने से बढ़ती उम्र के साथ भी याददाश्त मजबूत बनी रहती है।

अध्ययन

जिनेवा विश्वविद्यालय की शोधकर्ता ने किया यह अध्ययन

यह अध्ययन मनोभ्रंश की बढ़ती दर के बीच संज्ञानात्मक गिरावट से निपटने का आसान तरीका बनकर उभरा है। इसे एड्रियाना रोस्टेकोवा नाम की शोधकर्ता ने पूरा किया है, जो जिनेवा विश्वविद्यालय में जीवनकाल विकासात्मक मनोविज्ञान अनुसंधान समूह में काम करती हैं। इसे नेचर नाम की पत्रिका में प्रकाशित भी किया गया था। उन्होंने पाया कि 4 पैरों वाले नन्हें दोस्त उम्र बढ़ने के साथ-साथ मस्तिष्क के कार्यों को संरक्षित करके संज्ञानात्मक गिरावट को धीमा करने में मदद करते है।

प्रक्रिया

पुराने सर्वेक्षणों की मदद से पूरा किया गया शोध

शोध के लिए रोस्टेकोवा ने यूरोप में स्वास्थ्य और सेवानिवृत्ति के सर्वेक्षण की 8 समीक्षाओं के आंकड़ों का उपयोग किया। उन्होंने आंकड़ों की मदद से 50 साल और उससे अधिक आयु के वयस्कों में 18 साल तक पालतू जानवरों के स्वामित्व और संज्ञानात्मक गिरावट के बीच संबंधों की जांच की। उन्होंने विशेष रूप से कुत्तों, बिल्लियों, पक्षियों और मछलियों के पालन की भूमिका पर ध्यान दिया। अध्ययन में जानवरों के बीच उल्लेखनीय अंतर पाया गया।

नतीजे

क्या रहे इस अध्ययन के नतीजे?

अध्ययन से सामने आया कि मछली या पक्षी पालने से संज्ञानात्मक गिरावट में कोई संबंध नहीं दिखाई दिए। इससे साफ होता है कि संज्ञानात्मक स्वास्थ्य में सुधार पालतू पशु रखने के बजाय बिल्ली या कुत्ते पानले से ही नजर आता है। अध्ययन में उजागर हुआ कि कुत्तों के मालिकों में तत्काल और विलंबित, दोनों तरह की याददाश्त अधिक तीव्र होती है। वहीं, बिल्ली के मालिकों की मौखिक क्षमताओं में धीमी गिरावट देखी गई।

अन्य जानवर

पक्षी और मछली पालना क्यों नहीं होता उतना फायदेमंद?

रोस्टेकोवा बताती हैं कि मछली या पक्षी का छोटा जीवनकाल संभावित रूप से उस भावनात्मक जुड़ाव के स्तर को सीमित कर सकता है, जिसे कोई व्यक्ति अपने पालतू जानवरों के साथ विकसित करता है। साथ ही पक्षी पालने से शोर बढ़ता है, जिसके कारण मालिक की नींद की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यही कारण हैं कि इन दोनों जानवरों को पालने से संज्ञानात्मक गिरावट तेज हो जाती है।

सामाजिक संपर्क

सामाजिक सपर्क को भी बढ़ते हैं कुत्ते-बिल्लियां

रोस्टेकोवा ने कहा, "बिल्लियों और कुत्तों द्वारा सामाजिक उत्तेजना में वृद्धि की भी संभावना है, जो उनके मालिकों द्वारा अनुभव की जाने वाली धीमी संज्ञानात्मक गिरावट से जुड़ी हो सकती है।" कुत्ते के साथ रहने से सामाजिक संपर्क बढ़ जाता है। वहीं, बिल्लियां खुद सामाजिक संपर्क का विकल्प बन जाती हैं। एक अन्य शोध में पाया गया है कि कुत्ते मस्तिष्क को सक्रीय बनाते हैं, ध्यान प्रक्रियाओं को मजबूत करते हैं और आपको अधिक भावुक बना सकते हैं।