अलग-अलग राज्यों में विभिन्न अनुष्ठानों के साथ मनाई जाती है मकर संक्रांति
मकर संक्रांति हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो सूर्य की उत्तरायण यात्रा का जश्न मनाता है। यह त्योहार सर्दियों के महीनों के अंत और बसंत के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। इसके अलावा यह नई फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक भी माना गया है, इसलिए कुछ लोग इसे फसल उत्सव भी कहते हैं। हालांकि, हर राज्य में इस त्योहार को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। आइए इस बारे में जानते हैं।
कर्नाटक
कर्नाटक में मकर संक्रांति को किसानों के फसल उत्सव सुग्गी के तौर पर मनाया जाता है। यह उत्सव गन्ने की फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है, जो इस राज्य की एक प्रमुख फसल है। कर्नाटक के कुछ क्षेत्रों में इस दिन नवविवाहितों को 5 साल तक 7 सुहागिन महिलाओं को उपहार में केले देने का रिवाज है और हर साल बांटे जाने केलों की मात्रा 5 गुना बढ़ानी होती है।
तमिलनाडु
तमिलनाडु के साथ-साथ आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मकर संक्रांति को पोंगल के रूप में मनाया जाता है। 4 दिवसीय उत्सव पोंगल भी फसलों की कटाई से जुड़ा त्योहार है। इस दिन तमिलनाडु के लोग पारंपरिक मीठा पकवान पोंगल तैयार करते हैं और फिर इसे प्रसाद के रूप में भगवान को अर्पित किया जाता है। साथ ही इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है और अलाव के जरिए उन्हें फसलों का भोग भी लगाया जाता है।
असम
मकर संक्रांति को असम में माघू बिहू के तौर पर मनाया जाता है। यह त्योहार इलाके में कटाई के मौसम के अंत का प्रतीक है और एक हफ्ते तक चलता है। माघ बिहू में पहले दिन उरुका मनाया जाता है। मेजी बनाना इस त्योहार की प्रमुख रिवाज है और इसके लिए बांस, घास-फूस और स्थानीय कच्चे माल का उपयोग किया जाता है। त्योहार में मेजी को जलाया भी जाता है।
गुजरात
गुजरात में मकर संक्रांति को उत्तरायण के नाम से जाना जाता है और यह 2 दिनों तक मनाया जाता है। इस अवसर पर यहां अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें दुनियाभर के लोगों को पतंगबाजी करने का मौका मिलता है। पतंगें अनोखे प्रकार के हल्के कागज और बांस से बनाई और डिजाइन की जाती हैं। इस उत्सव को देखना और इसमें भाग लेना मनोरंजक है।
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल में मकर संक्रांति को पौष संक्रांति के नाम से जाना जाता है। यह बंगाली महीने पौष का समापन और बंगाल में फसल उत्सव का अवसर है। इस मौके पर किसानों के परिवार अपने घरों को साफ करते हैं, उन्हें सजाते हैं और मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए आम के पत्तों को प्रवेश द्वार पर बांधते हैं। इसके अतिरिक्त चावल के फूलों के पेस्ट से रंगोली बनाते हैं और तरह-तरह के व्यंजन बनाते हैं।