
स्पेस सूट किन चीजों से बनाए जाते हैं और उनका परीक्षण कैसे होता है?
क्या है खबर?
अंतरिक्ष के किसी भी मिशन में स्पेस सूट एक जरूरी सुरक्षा उपकरण होता है।
यह न केवल खतरनाक तापमान से बचाता है, बल्कि ऑक्सीजन, दबाव और रेडिएशन से भी सुरक्षा देता है।
जब अंतरिक्ष यात्री बाहर निकलते हैं, तो यही सूट उन्हें सांस लेने, चलने और काम करने की सुविधा देता है।
सूट के बिना इंसान कुछ ही सेकंड में बेहोश हो सकता है। ऐसे में इसे बहुत ही सोच-समझकर डिजाइन किया जाता है।
आइए इसके बारे में जानें।
कपड़े
मजबूत कपड़ों की कई परतों से बनता है सूट
स्पेस सूट को कई परतों वाले मजबूत कपड़ों से बनाया जाता है। इसकी सबसे बाहरी परत नोमेक्स और केवलर जैसी सामग्री से बनी होती है, जो कट और आग से बचाव करती है।
बीच की परतें माइलर और डेक्रॉन से बनती हैं, जो तापमान को नियंत्रित करती हैं।
अंदर की परतें नायलॉन और स्पैन्डेक्स से बनती हैं, जो शरीर के अनुकूल रहती हैं।
हेलमेट पारदर्शी पॉलीकार्बोनेट से बना होता है और उसमें ऑक्सीजन, माइक और सन वाइजर लगे होते हैं।
बैकपैक
बैकपैक और दस्ताने भी हैं बेहद खास
सूट के पीछे एक बैकपैक होता है, जिसे 'पोर्टेबल लाइफ सपोर्ट सिस्टम' कहते हैं।
इसमें ऑक्सीजन टैंक, कूलिंग सिस्टम और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालने का सिस्टम होता है।
दस्ताने ऐसे बनाए जाते हैं, जो उंगलियों को ठंड से बचाते हैं और साथ ही उपकरण पकड़ने की क्षमता भी रखते हैं। दस्तानों में हीटर भी लगे होते हैं।
पूरा सूट इस तरह डिजाइन किया जाता है कि अंतरिक्ष यात्री बिना किसी रुकावट के कई घंटे तक काम कर सकें।
परीक्षण
कड़े परीक्षण से गुजरता है हर सूट
स्पेस सूट को अंतरिक्ष में भेजने से पहले कई कड़े परीक्षणों से गुजारा जाता है।
सबसे पहले उसे वैक्यूम चैंबर में रखकर जांचा जाता है कि कहीं से हवा तो नहीं निकल रही। इसके बाद -150 से +120 डिग्री तापमान में परखा जाता है और फिर पानी में डुबोकर भारहीनता की जांच होती है।
अंत में, यात्री से पहनाकर चलने, उठाने और उपकरण चलाने की क्षमता देखी जाती है। हर सूट पूरी तरह जांचे बिना उपयोग में नहीं लाया जाता।