4 दिनों तक मनाया जाता है पोंगल का त्योहार, जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
क्या है खबर?
पोंगल दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला एक पारंपरिक फल उत्सव है, विशेष रूप से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों में।
उत्तर भारत में इस त्योहार को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है और यह 4 दिनों तक मनाया जाता है। इस बार यह 15 जनवरी से 18 जनवरी तक है।
आइए आज भोगी पोंगल, सूर्य पोंगल, मट्टू पोंगल और कनुम पोंगल के नाम से जाने जाने वाले त्योहार के 4 दिनों के बारे में जानते हैं।
कहानी
पोंगल से जुड़ी एक पौराणिक कहानी
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने अपने बैल नंदी को प्रतिदिन तेल मालिश और स्नान करने समेत महीने में एक बार भोजन करने के लिए पृथ्वी पर भेजा था।
हालांकि, पृथ्वी पर पहुंचकर नंदी ने भगवान शिव से कहा कि यह सभी के लिए सामान्य है और इससे शिव ने क्रोधित होकर नंदी को मनुष्यों के साथ खेतों में काम करने का श्राप दिया।
इसलिए पोंगल फसलों की कटाई और खेती के लिए जानवरों का सहयोग लेते हैं।
#1
भोगी पोंगल (पहला दिन)
यह पोंगल त्योहार की शुरूआत का प्रतीक है। बारिश के देवता इंद्र को उनकी कृषि भूमि की उर्वरता के लिए आभार व्यक्त करने के लिए भोगी पोंगल मनाया जाता है।
लोहड़ी के त्योहार की तरह इस दिन के कार्यक्रम को अलाव से मनाया जाता है। इस दिन लोग सूर्य देव के साथ-साथ फसलों की कटाई के लिए उपयोग किए जाने वाले कृषि उपकरणों की भी पूजा करते हैं।
इसके अतिरिक्त अपनी घर के द्वार पर कोलम नामक रंगोली बनाते हैं।
#2
सूर्य पोंगल (दूसरा दिन)
सूर्य पोंगल उत्सव का मुख्य दिन है और इसकी शुरूआत करने के लिए ताजे दूध को बर्तन से बाहर आने तक उबाला जाता है।
यह पोंगल उत्सव की प्रमुख परंपराओं में से एक है और कहा जाता है कि यह समृद्धि लाता है।
इस दिन तमिलनाडु के लोग चावल, दूध और गुड़ से पारंपरिक मीठा पकवान पोंगल भी तैयार करते हैं, फिर इसे प्रसाद के रूप में भगवान को अर्पित किया जाता है।
#3
मट्टू पोंगल (तीसरा दिन)
पोंगल के तीसरे दिन को मट्टू पोंगल के नाम से जाना जाता है।
इस दिन गाय और बैल जैसे जानवरों को पूजा जाता है क्योंकि वे किसानों को सफलतापूर्वक अपनी फसल उगाने और काटने में सक्षम बनाते हैं।
मट्टू पोंगल के लिए खेत के जानवरों को नहलाया जाता है और फिर उन्हें सुंदर ढंग से सजाया जाता है।
इस दिन सांडों की लड़ाई का भी आयोजन किया जाता है, जिसे जल्लीकट्टू कहा जाता है।
#4
कनुम पोंगल (चौथा दिन)
तमिलनाडु के कुछ क्षेत्रों में कनुम पोंगल को करिनाल भी कहा जाता है। इस दिन लोग सूर्य देव की पूजा करते हैं और उन्हें भोजन समेत सरकाराई पोंगल चढ़ाते हैं।
जीवन में मिठास और आनंद की आशा से सूर्य देव को गन्ना भी चढ़ाया जाता है और आसपास के लोगों को भी प्रसाद के तौर पर दिया जाता है।
कनुम पोंगल पर लोग क्षेत्र के पारंपरिक नृत्य और गीत प्रस्तुत करते हैं।