नवजात शिशुओं के लिए HMPV वायरस कितना खतरनाक है? जानिए बचाव के तरीके
क्या है खबर?
कोरोना वायरस के बाद अब ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) ने अपना कहर बरपाना शुरू कर दिया है।
ये कोई नया वायरस नहीं है, लेकिन वर्तमान समय में चीन समेत भारत में भी इसके कई मामले सामने आ रहे हैं।
अब तक देश में इस वायरस के 9 मामलों की पुष्टि की जा चुकी है। HMPV वायरस नवजात बच्चों को अपना शिकार बनाता है, इसीलिए यह जानना बेहद जरूरी है कि उन्हें इससे सुरक्षित कैसे रखा जाए।
HMPV
क्या होता है HMPV वायरस?
HMPV एक सामान्य श्वसन वायरस है, जो हल्की सर्दी से लेकर गंभीर निमोनिया तक कई संक्रमणों का कारण बन सकता है।
यह वायरस खासकर कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों, बुजुर्गों, छोटे बच्चों और नवजात शिशुओं को प्रभावित करता है।
जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो यह वायरस श्वसन पथ के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाता है। आमतौर पर यह वायरस सर्दियों या वसंत के मौसम में फैलता है।
लक्षण
नवजात शिशुओं में इस वायरस के क्या लक्षण नजर आते हैं?
नवजात शिशुओं और बच्चों में HMPV के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर हो सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, इस स्वास्थ्य समस्या का सबसे प्रमुख लक्षण होता है नाक बहना।
इसके दौरान बच्चों को खांसी व छींक आ सकती है और उन्हें बुखार भी चढ़ सकता है। HMPV होने पर बच्चों व शिशुओं को सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती है।
इसके अलावा, त्वचा नीली पड़ सकती है, निमोनिया हो सकता है और कमजोरी आ सकती है।
कारण
नवजात शिशुओं में HMPV होने के कारण क्या हैं?
9 महीने से पहले पैदा होने वाले बच्चों की प्रतिरक्षा बेहद कमजोर होती है, जिस कारण उन्हें इस वायरस का अधिक खतरा रहता है।
इसके अलावा, जिन नवजात शिशुओं को हृदय रोग या फेफड़ों से जुड़ी दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं, वे भी इस बीमारी का शिकार हो सकते हैं।
HMPV के मरीज के संपर्क में आने से भी यह संक्रमण फैल सकता है।
बचाव
नवजात शिशुओं को इस वायरस से कैसे बचाएं?
अपने बच्चे को छूने या उसकी देखभाल करने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ कर लें और बार-बार सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते रहें।
जिन लोगों को खांसी, जुखाम या बुखार हो, उन्हें अपने बच्चे से दूर ही रखें। बच्चे को भीड़-भाड़ वाली जगहों पर न ले जाएं और अपने घर को समय-समय पर साफ करते रहें।
नवजात शिशु को स्तनपान करवाएं, जिससे उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत हो सके। इसके अलावा, उनकी नियमित जांच भी करवाते रहें।