क्या कोरोना वायरस के जैसा ही है HMPV? जानिए इससे जुड़ी सभी जरुरी जानकारी
क्या है खबर?
कोरोना वायरस के बाद अब दुनिया में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) नाम के नए वायरस का खतरा बढ़ गया है।
चीन सहित दुनिया के कई देशों में इसके मामले बढ़ रहे हैं। भारत में भी 3 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। इनमें 2 कर्नाटक और 1 गुजरात में मिला है। तीनों मामले छोटे बच्चों से जुड़े हैं।
इस बीच बड़ा सवाल है कि क्या HMPV भी कोराना वायरस (कोविड-19) जितना खतरनाक है।
आइए इसके बारे में जानते हैं।
वायरस
क्या है HMPV?
HMPV न्यूमोविरिडे परिवार का हिस्सा है, जिसमें रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस (RSV) भी शामिल है। HMPV की सबसे पहले पहचान 2001 में हुई थी।
अमेरिका रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (CDC) के अनुसार, HMPV एक सांस संबंधी वायरस है, जो ऊपरी और निचले श्वसन तंत्र में संक्रमण करता है। यह सभी आयु समूहों को प्रभावित करता है, लेकिन छोटे बच्चे, बुजुर्ग और कमजोर इन्युनिटी वालों के लिए अधिक खतरा है। आमतौर पर ये सर्दियों या शुरुआती वसंत मौसम में फैलता है।
समानता
HMPV और कोराना वायरस में कितनी है समानता?
वेबएमडी के अनुसार, HMPV और कोरोना वायरस (कोविड-19) में कई प्रमुख समानताएं हैं। ये दोनों ही वायरस खांसी, बुखार, खून का थक्का जमना, गले में खराश और सांस लेने में तकलीफ जैसी श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा करते हैं और दोनों ही खांसने या छींकने पर मुंह से निकलने वाली बूंदों से फैलते हैं।
CDC के अनुसार, कोरोना वायरस तापमान के प्रति संवेदनशील होता है और इसलिए वह मौसमी है, जबकि HMPV अलग-अलग मौसमों में भी फैलने में सक्षम होता है।
लक्षण
क्या है संक्रमण के लक्षण और प्रसार का कारण?
HMPV के सामान्य लक्षणों में खांसी, बुखार, नाक बंद होना और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। गंभीर मामलों में ब्रोंकाइटिस या निमोनिया हो सकता है। इसके अलावा गले में खराश, सांस फूलना और त्वचा पर छोटे-छोटे दाने भी हो सकते हैं।
HMPV खांसने या छींकने के दौरान निकलने वाला द्रव, संक्रमित व्यक्ति से हाथ मिलाना, छूना या मरीज द्वारा इस्तेमाल की गई किसी वस्तु को छूने आदि से इस वायरल का संक्रमण फैल सकता है।
बचाव
कैसे करें बचाव?
HMPV से बचने के लिए अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन और पानी से 20 सेकंड तक धोएं। हाथों से बार-बार चेहरे को न छूएं या आंख न मसलें।
किसी में बीमारी से संबंधित लक्षण नजर आते हैं तो उस व्यक्ति से दूरी बनाएं। बार-बार छुई जाने वाली सतहों जैसे दरवाजे के हैंडल को साफ करते रहें।
अभी तक इसकी कोई विशिष्ट वैक्सीन नहीं है। संक्रमित लोगों को फ्लू में दी जाने वाली चिकित्सा सहायता दी जाती है।
इजाफा
कोरोना प्रतिबंध हटने के बाद बढ़े HMPV के मामले
CDC के अनुसार, HMPV का पता पूरे साल लगाया जा सकता है, लेकिन अमेरिका में सर्दियों के अंत से लेकर वसंत की शुरुआत तक इसके मामले चरम पर होते हैं।
अध्ययनों से पता चलता है कि कोरोना प्रतिबंध हटाए जाने के बाद कुछ क्षेत्रों में HMPV के मामले 3 गुना बढ़ गए। लॉकडाउन के दौरान वायरस के संपर्क में कमी आने से संभवतः प्रतिरक्षा कमज़ोर हुई, जिससे सावधानियों में ढील दिए जाने के बाद श्वसन संक्रमण में वृद्धि हुई।
प्रसार
दुनिया में क्या है HMPV संक्रमण की स्थिति?
कई रिपोर्ट्स के अनुसार, इस समय चीन में HMPV के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन वहां के स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्थिति नियंत्रण में बताई है।
मलेशिया में पिछले साल इसके 327 मामले सामने आए हैं। हांगकांग में भी एक दर्जन से अधिक मामलों की पुष्टि हो चुकी है।
इसी तरह, जापान में इन्फ्लूएंजा के हजारों मामले सामने आ चुके हैं। जापान ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन के अनुसार, 15 दिसंबर, 2024 तक 94,259 फ्लू रोगियों की रिपोर्ट की गई है।
तैयारी
भारत में क्या है तैयारी?
भारत में HMPV के मामले सामने आने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बयान जारी किया है।
मंत्रालय ने कहा, "देश में HMPV के मामलों में कोई असामान्य बढ़ोतरी नहीं हो रही है और भारत श्वसन संबंधी बीमारियों में किसी भी संभावित वृद्धि से निपटने के लिए अच्छी तरह से तैयार है।"
इधर, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) ने बताया कि वह देश में श्वसन और मौसमी इन्फ्लूएंजा के मामलों पर बारीकी से नजर रख रहा है।