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एक पैर पर 10 सेकंड खड़े नहीं रह सकते तो मौत का ज्यादा खतरा- अध्ययन
एक पैर पर बैलेंस बनाने और मृत्यु के बीच है गहरा संबंध

एक पैर पर 10 सेकंड खड़े नहीं रह सकते तो मौत का ज्यादा खतरा- अध्ययन

लेखन अंजली
Jun 24, 2022
12:09 pm

क्या है खबर?

अगर आपको एक पैर पर 10 सेकंड भी खड़े होने में दिक्कत होती है तो समझ जाइए कि आपकी उम्र लंबी नहीं है। दरअसल, हाल ही में एक शोध से पता चलता है कि जो लोग एक पैर पर 10 सेकेंड भी खड़े नहीं हो सकते, उनकी 10 साल के भीतर मरने की संभावना अधिक है यानी आपकी बैलेंसिंग और अंदरूनी स्वास्थ्य के बीच गहरा रिश्ता है। आइए जानते हैं कि शोध में क्या-क्या बातें सामने आई ।

शोध

10 साल में मौत का खतरा दोगुना

इस शोध के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड और ब्राजील के विशेषज्ञों ने बैलेंस और मृत्यु दर के बीच वाले संबंधों का पता लगाने के लिए 12 साल तक अध्ययन किया। इस शोध के परिणाम ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में प्रकाशित किए गए हैं, जिसमें बताया गया कि जो लोग 10 सेकंड तक भी एक पैर पर खड़े नहीं हो पाते हैं उनमें 10 वर्षों में मौत का खतरा दोगुना हो जाता है।

तरीका

कैसे किया गया यह शोध?

2008 से 2020 तक हुए इस शोध में 51-75 साल के 1,702 लोग शामिल किए गए, जिन्हें बिना किसी सहारे के 10 सेकंड तक एक पैर पर खड़े होने को कहा गया। सभी को एक पैर अपने दूसरे पैर के पीछे और दोनों हाथ साइड में रखने थे। सभी को तीन मौके दिए गए, लेकिन हर पांच में से एक व्यक्ति (21%) टेस्ट में फेल हो गया। 71-75 आयु वर्ग के 54% लोग यह टेस्ट पूरा करने में असमर्थ रहे।

परिणाम

असफल रहे 17.5% लोगों की अगले 10 सालों में मौत

इस टेस्ट को पूरा करने में असफल रहे लोगों में से 17.5% लोगों की अगले 10 सालों में किसी न किसी कारण से मौत हो गई। वहीं जिन लोगों ने इस टेस्ट को पास किया था, उनमें से 4.5% लोगों की अगले 10 सालों में मौत हुई। जो लोग इस टेस्ट में असफल रहे, उनमें अगले 10 वर्षों में किसी भी कारण से मृत्यु का 85 प्रतिशत अधिक जोखिम था।

जानकारी

बीमारियों से ग्रस्त हुए टेस्ट में असफल

इस टेस्ट में असफल लोग किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त थे और जो लोग 10 सेकंड तक एक पैर पर नहीं खड़े हो पाए उन लोगों को टाइप-2 मधुमेह था। वहीं, बाकियों को मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोगों की शिकायत थी।

बयान

खराब जीवनशैली से जुड़ा खराब बैलेंस- शोधकर्ता

इस शोध के प्रमुख शोधकर्ता डॉ क्लाडियो गिल अराजुओ ने कहा, "मेरा मानना है कि शरीर का खराब बैलेंस खराब जीवनशैली से जुड़ा हुआ है यानी जो लोग टेस्ट में असफल रहे वे शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं रहते हैं और न ही एक्सरसाइज करते हैं।" उन्होंने यह भी कहा, "मुझे लगता है कि 51-75 साल के लोगों को अपने रुटीन हेल्थ चेक-अप में सेफ बैलेंस टेस्ट भी शामिल करना चाहिए।"