घरेलू वस्तुओं में मौजूद रसायन बनते हैं टाइप 2 मधुमेह का कारण, अध्ययन में हुआ खुलासा
क्या है खबर?
हम सभी के घरों में जो रोजमर्रा का सामान इस्तेमाल होता है वह आम तौर पर प्लास्टिक आदि से बनता है। ये वस्तुएं हमारी सुविधा के लिए होती हैं, लेकिन ये हमें बीमार करने में भी योगदान दे सकती हैं। एक अध्ययन से सामने आया है कि नॉन-स्टिक बर्तन, खाद्य पैकेजिंग और वाटरप्रूफ कपड़ों जैसी आम वस्तुओं में कुछ खतरनाक रसायन पाए जाते हैं। ये हानिकारक रसायन टाइप 2 मधुमेह के विकास के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
अध्ययन
न्यूयॉर्क में हुआ यह अहम अध्ययन
यह अध्ययन अमेरिका के न्यूयॉर्क में किया गया है और इसे 'ईबायोमेडिसिन' नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। यह प्लास्टिक के उत्पादों में मौजूद सामान्य रसायनों के नकारात्मक प्रभावों को उजागर करता है, जिन्हें पेर और पॉलीफ्लोरोएल्काइल पदार्थ (PFAS) नाम से जाना जाता है। ये रसायन रोजाना इस्तेमाल होने वाली ज्यादातर वस्तुओं में मौजूद रहते हैं और कहा जाता है कि ये कभी खत्म नहीं होते हैं। आइए पहले इन रसायनों के बारे में जानते हैं।
PFAS
क्या होते हैं PFAS?
PFAS सिंथेटिक रसायनों का एक समूह है, जो पानी, ग्रीस और गर्मी के प्रति अपने प्रतिरोध के लिए जाना जाता है। ये रसायन रोजमर्रा के न जाने कितने ही उत्पादों में पाए जाते हैं, जिनमें नॉन-स्टिक बर्तन, खाद्य पैकेजिंग, वाटरप्रूफ कपड़े, कालीन और अग्निशमन फोम शामिल हैं। ये आसानी से विघटित नहीं होते, इसलिए ये मिट्टी, पानी, हवा और जीवों में भी पाए जाते हैं। इन्हें कई वैज्ञानिक 'फॉरएवर केमिकल' भी कहते हैं, क्योंकि ये आसानी से खत्म नहीं होते।
प्रक्रिया
360 लोग हुए थे इस अध्ययन में शामिल
इस अध्ययन में करीब 360 लोगों को शामिल किया गया था। शोधकर्ताओं ने इन लोगों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड और रक्त के नमूनों का विश्लेषण किया। इसके बाद हाल ही में टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित लोगों की तुलना उन लोगों से की गई, जिन्हें यह रोग नहीं था। शोधकर्ताओं ने बायोमी में एक केस-कंट्रोल अध्ययन किया, जो एक इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड-लिंक्ड शोध डाटाबेस है। इसमें 70,000 से ज्यादा प्रतिभागियों के रिकॉर्ड मौजूद हैं।
नतीजे
क्या रहे इस अध्ययन के नतीजे?
माउंट सिनाई के इकाहन स्कूल ऑफ मेडिसिन में पर्यावरण चिकित्सा के सहायक प्रोफेसर डॉ विशाल मिद्या ने अध्ययन का नेतृत्व किया था। शोध में पाया गया कि जिन लोगों के रक्त में PFAS का स्तर ज्यादा था, उनमें मधुमेह होने की संभावना 31 प्रतिशत अधिक थी। अध्ययन से पता चला कि ये रसायन अमीनो एसिड जैवसंश्लेषण और औषधि चयापचय में हस्तक्षेप करते हैं। ये प्रक्रियाएं शरीर के ब्लड शुगर विनियमन के लिए अहम होती हैं।
मधुमेह
ये रसायन बन सकते हैं अन्य बीमारियों का भी कारण
विशाल ने बताया, "PFAS आसानी से विघटित नहीं होते, इसीलिए ये पर्यावरण और मानव शरीर में जमा हो जाते हैं।" अध्ययन से पता चलता है कि PFAS केवल मधुमेह ही नहीं, बल्कि मोटापे और लिवर रोग जैसी कई दीर्घकालिक बीमरियों के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि उनके निष्कर्ष इस ओर इशारा करते हैं कि टाइप 2 मधुमेह को रोकने के लिए केवल जीवनशैली को ही नहीं, बल्कि पर्यावरणीय जोखिम को भी ध्यान में रखना जरूरत है।