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9 घंटे से ज्यादा सोने से बढ़ता है मौत का खतरा, अध्ययन में हुआ खुलासा

9 घंटे से ज्यादा सोने से बढ़ता है मौत का खतरा, अध्ययन में हुआ खुलासा

लेखन सयाली
Jun 20, 2025
04:38 pm

क्या है खबर?

हम में से ज्यादातर लोग देर रात तक जागते हैं और फिर अगले दिन देर तक सोते रहते हैं। यह आदत हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है और हमें सुस्त बना देती है। हालांकि, अब एक नया अध्ययन किया गया है, जिसमें ज्यादा या कम सोने को जानलेवा बताया गया है। जी हां, अगर आप 9 घंटे से ज्यादा सोते हैं या 7 घंटे से कम नींद लेते हैं तो आपका मौत का जोखिम कई प्रतिशत बढ़ सकता है।

अध्ययन

ज्यादा सोना है कम सोने से ज्यादा खतरनाक

हंगरी के बुडापेस्ट स्थित सेमेल्विस विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने इस अध्ययन को पूरा किया है। इससे सामने आया है कि ज्यादा देर तक सोना कम सोने से ज्यादा खतरनाक होता है। इसके जरिए यह पता चला है कि जो लोग नियमित रूप से रात में 7 घंटे से कम या 9 घंटे से ज्यादा सोते हैं, उनकी मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। अगर आप भी देर से सोते हैं या देर तक सोते हैं तो अपनी आदत बदल लें।

नतीजे

21 लाख लोगों की भागीदारी से पूरा हुआ अध्ययन 

इस ऐतिहासिक अध्ययन के लिए 79 अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों में शामिल 21 लाख से अधिक प्रतिभागियों के डाटा का विश्लेषण किया गया। इससे पता चला है कि जो लोग 7 घंटे से कम सोते हैं, उनमें मरने का जोखिम उन लोगों की तुलना में 14 प्रतिशत ज्यादा होता है, जो 7-8 घंटे की नींद लेते हैं। वहीं, जो लोग नियमित रूप से रात में 9 या उससे ज्यादा घंटे सोते हैं, उनमें मृत्यु का जोखिम 34 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।

जोखिम

ज्यादा या कम सोना किसके लिए है कितना खतरनाक?

अध्ययन के जरिए यह भी पता लगाया गया कि ज्यादा सोना किसके लिए सबसे अधिक हानिकारक साबित होता है। सामने आया कि पुरुषों को नींद की कमी के कारण महिलाओं की तुलना में मृत्यु का अधिक खतरा होता है। वहीं, पुरुषों की तुलना में महिलाओं का रोजाना देर तक सोना ज्यादा जानलेवा हो सकता है। अध्ययन में पाया गया कि जो पुरुष रात में 7 घंटे से कम सोते हैं उनमें मृत्यु का जोखिम 16 प्रतिशत ज्यादा होता है।

अंतर

क्यों अलग हैं पुरुषों और महिलाओं के नतीजे?

अध्ययन के मुताबिक, जो पुरुष 8 घंटे या उससे अधिक सोते हैं उनमें मृत्यु का जोखिम 36 प्रतिशत ज्यादा होता है। वहीं, महिलाओं में कम नींद से मृत्यु का जोखिम 14 प्रतिशत और लंबी नींद से 44 प्रतिशत बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं की मानें तो यह अंतर इसीलिए है, क्योंकि पुरुषों और महिलाओं के हार्मोनल, व्यवहार और हृदय स्वास्थ्य के बीच भी अंतर होता है। शिफ्ट में काम करने वाले इस समस्या से विशेष रूप से प्रभावित होते हैं।

अन्य समस्याएं

शोधकर्ताओं ने किया स्ट्रोक से संबंधित दूसरा अध्ययन

नींद की कमी से मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली जैसी समस्याएं भी होती हैं। हंगरी के शोधकर्ताओं ने एक अन्य अध्ययन भी किया, जिसमें स्ट्रोक और मृत्यु के जोखिम पर नींद की अवधि के प्रभाव की जांच की गई। सामने आया कि जो लोग रात में 5-6 घंटे सोते हैं, उनमें स्ट्रोक का खतरा 7-8 घंटे सोने वालों की तुलना में 29 प्रतिशत ज्यादा होता है और स्ट्रोक से मरने की संभावना 12 प्रतिशत अधिक होती है।