रवांडा में ब्लीडिंग आई वायरस से हुई 15 मौतें, जानिए इसके लक्षण और बचाव के उपाय
अफ्रीका के 17 देशों में एक नया वायरस फैल रहा है, जिसका नाम ब्लीडिंग आई वायरस है। इसे मारबर्ग के नाम से भी जाना जाता है, जिसके कारण रवांडा में 15 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। इस वायरस ने अब तक 100 से अधिक लोगों को अपना शिकार बनाया है और इसके चलते यात्रियों के लिए चेतावनियां भी जारी की गई हैं। इस लेख में हम आपको इस वायरस के लक्षण, बचाव के उपाय और अन्य जानकारी प्रदान करेंगे।
क्या होता है ब्लीडिंग आई वायरस?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मारबर्ग वायरस को मनुष्यों में एक गंभीर और घातक बीमारी के रूप में परिभाषित किया है, जिसे पहले मारबर्ग रक्तस्रावी बुखार के नाम से जाना जाता था। टेरोपोडिडे परिवार की एक चमगादड़ के कारण यह वायरस फैलता है, जिसे रूसेटस एजिपियाकस नाम से जाना जाता है। यह इबोला वायरस से मिलता जुलता वायरस है, जिससे रक्त वाहिकाओं की क्षति हो सकती है और खून बह सकता है।
ब्लीडिंग आई वायरस के लक्षण क्या हैं?
इस वायरस के लक्षण संक्रमित होने के 21 दिनों बाद नजर आते हैं। शुरुआत में संक्रमित को तेज बुखार के साथ मांसपेशियों में दर्द और गंभीर सिरदर्द महसूस हो सकता है। इसके अलावा, तीसरे दिन दस्त, पेट दर्द, ऐंठन, मतली और उल्टी शुरू होने की संभावना रहती है। संक्रमण के 5वें दिन से रोगियों की उल्टी और मल से खून आना और नाक, आंख, कान, मुंह, मसूड़ों या योनि से खून निकलना शुरू हो सकता है।
कैसे फैलता है यह जानलेवा वायरस?
घातक मामलों में लक्षण नजर आने के 8वें-9वें दिन मौत हो सकती है, जिसका कारण अधिक खून बहना या सदमा लगना हो सकता है। यह वायरस संक्रमित लोगों के रक्त, स्राव, अंगों या अन्य शारीरिक तरल पदार्थों के सीधे संपर्क में आने से फैल सकता है। इस वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर भी इसका शिकार हो रहे हैं। इसके अलावा, मरीजों के अंतिमसंस्कार में शामिल होने वाले लोग भी इस बीमारी से संक्रमित हो रहे हैं।
क्या ब्लीडिंग आई वायरस का उपचार है?
जानकारी के मुताबिक, वर्तमान में ब्लीडिंग आई वायरस के इलाज के लिए कोई टीका या एंटीवायरल उपचार उपलब्ध नहीं है। हालांकि, पुनर्जलीकरण, उचित देखभाल और समय पर उपचार के जरिए आपको मदद मिल सकती है। इस वायरस के खिलाफ वैक्सीन की खोज अभी प्रारंभिक चरण में है और रक्त उत्पाद, प्रतिरक्षा उपचार और दवा उपचार जैसे संभावित उपचार का वर्तमान में मूल्यांकन किया जा रहा है। इसमें सफलता मिलने के बाद वैक्सीन के निर्माण पर काम शुरू होगा।