धनिये के पत्तों का सेवन करने से मिलते हैं कई फायदे, डाइट में जरूर करें शामिल
घर में सब्जी बनी हो या दाल अगर उसके ऊपर धनिये के पत्तों को ग्रनिश कर दिया जाए तो खाने का स्वाद बढ़ना तय है। लेकिन धनिये के पत्ते सिर्फ खाने का जायका बढ़ाने तक ही सीमित नहीं है। दरअसल यह स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी कई प्रकार से लाभदायक है। आज हम आपको इसके ही फायदे बताने जा रहे हैं जिनके बारे में जानकर आप इसको अपनी डाइट में शामिल करने से खुद को रोक नहीं पाएंगे।
पाचन तंत्र को स्वस्थ रहने में सहायक है धनिये के पत्ते
पाचन तंत्र शरीर का अहम भाग है जिसका स्वस्थ रहना बेहद जरूरी है क्योंकि इसकी मदद से ही शरीर को पोषण मिलने में मदद मिलती है। धनिये के पत्तों का सेवन पाचन तंत्र को ठीक रखने में सकारात्मक भूमिका अदा कर सकता है क्योंकि इसमें लिनालूल नामक कंपाउंड पाया जाता है जो पाचन से जुड़ी कई समस्याओं से देने में सक्षम है। अगर आप पाचन से जुड़ी किसी समस्या से ग्रस्त हैं तो रोजाना धनिये के पत्तों का सेवन करें।
वजन नियंत्रित रखने में मददगार है धनिये के पत्ते
वजन बढ़ाना एक ऐसी समस्या है जो शरीर को न जाने कितनी तरह की बीमारियों की चपेट में ढकेल सकती है इसलिए हमेशा वजन को नियंत्रित रखने कोशिश करते रहना चाहिए। इस काम भी धनिये के पत्तों का सेवन फायदेमंद सिद्ध हो सकता है क्योंकि इसमें क्वेरसेटिन नामक फ्लेवोनोइड पाया जाता हैं। क्वेरसेटिन में एंटीओबेसिटी गुण होते हैं, जो शरीर के वजन को कम करने में फायदेमंद हो सकते हैं।
मधुमेह के जोखिमों से राहत देते हैं धनिये के पत्ते
खून में शुगर की मात्रा बढ़ने से मधुमेह का खतरा हो सकता है जिसके जोखिमों से राहत देने में धनिये के पत्तों का सेवन कारगर साबित हो सकता है। कई अध्ययनों के मुताबिक धनिये के पत्तों में एंटीडायबिटिक गुण होते हैं जो रक्त में मौजूद ग्लूकोज की मात्रा को कम करने में मदद कर सकता है। इस प्रकार से यह गुण मधुमेह को नियंत्रित करने में फायदेमंद हो सकता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता को ठीक रखते हैं धनिये के पत्ते
अगर रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो तो शरीर कई तरह की बीमारियों या संक्रमण की चपेट में आ सकता है। अमूमन बीमार रहना रोग प्रतिरोधक प्रणाली के कमजोर होने का लक्षण है। इस समस्या को दूर करने के लिए धनिये के पत्ते का सेवन फायदेमंद हो सकता है। दरअसल इसके अर्क इथेनॉल में कई फ्लेवोनोइड यौगिक पाए जाते हैं। ये यौगिक इम्यूनोमॉड्यूलेटर की तरह काम करते हैं जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार हो सकता है।