कुत्तों को होने वाली सामान्य बीमारियां जिनके बारे आपको पता होना चाहिए
मनुष्य की तरह कुत्ते भी कई बीमारियों की चपेट में जाते हैं लेकिन वो अपनी समस्या को बता नहीं पाते हैं। इसलिए समय-समय पर उनकी डॉक्टरी जांच करवाना बहुत जरूर है खासकर अगर वह सुस्त या कम प्रतिक्रिया वाले दिख रहे हों। अगर आपके पास कुत्ता है तो उसका ध्यान घर की सदस्य की तरह रखें। खैर आज हम आपको कुत्तों की कुछ ऐसी सामान्य बीमारियां बताने जा रहे हैं जो उन्हें प्रभावित कर सकती हैं। आइये जानते हैं।
कैनाइन डिस्टेंपर
कैनाइन डिस्टेंपर (Canine Distemper) एक संक्रमण बीमारी है जिसके होने पर कुत्तों में बुखार, सुस्ती, उल्टी, दस्त और अवसाद जैसे लक्षण दिखते हैं। यह संक्रमण खून या लार के संपर्क के माध्यम से एक कुत्ते से कुत्ते को हो सकता है। छोटे पिल्लों और जिन कुत्तों को टीका नहीं लगाया जाता है उन्हें इस बीमारी का खतरा अधिक रहता है। इसलिए अपने कुत्ते का समय-समय पर टीकाकरण जरूर करवाते रहें।
कैनाइन पार्वोवायरस
कैनाइन पार्वोवायरस (Canine Parvovirus) भी एक तरह का संक्रमण है जो कुत्ते के हृदय या उसके शरीर के पोषक तत्वों को अवशोषित करने की क्षमता पर हमला करता है। इस बीमारी के होने पर कुत्ते में गंभीर दस्त, भूख कम लगना, बार-बार उल्टी आना और अचानक वजन कम होना जैसे लक्षण आसानी से देखे जा सकते हैं। इसके अलावा यह बीमारी टीकाकरण वाले कुत्तों को भी प्रभावित कर सकती है। लेकिन इसका डॉक्टरी इलाज संभव है।
जिआर्डिया
यह भी एक प्रकार का संक्रमण है जो कुत्तों को दूषित पानी पीने या मल के संपर्क में आने के कारण होता है। इस बीमारी के सबसे आम लक्षण दस्त और लगातार उल्टी हैं। दरअसल जिआर्डिया (Giardia) एकल-कोशिका वाला परजीवी है जो जानवरों की आंतों में निवास करके उन्हें बीमार बनाता है। यह बीमारी पिल्लों, ज्यादा उम्र वाले कुत्तों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले कुत्तों के लिए खतरनाक हो सकती है।
लाइम रोग
यह रोग कुछ प्रजातियों के पिस्सू (कीट) के कारण होता है और इससे कुत्तों और मनुष्यों दोनों ही प्रभावित हो सकते हैं। साफ शब्दों में समझाएं तो पिस्सू एक तरह का कीट होता है जिसके संपर्क में आने के 24-48 घंटों के भीतर शरीर में संक्रमण फैल सकता है। लाइम रोग के कारण बुखार, भूख में कमी, कम ऊर्जा, दर्द और जोड़ों में सूजन आदि लक्षणों का सामना करना पड़ता है। लेकिन इस संक्रमण का डॉक्टरी इलाज संभव है।