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10 दिवसीय त्योहार है ओणम, जानिए प्रत्येक दिन का नाम और महत्व

10 दिवसीय त्योहार है ओणम, जानिए प्रत्येक दिन का नाम और महत्व

लेखन अंजली
Sep 06, 2024
07:58 am

क्या है खबर?

केरल के प्रमुख त्योहार ओणम को राजा महाबली के आगमन का प्रतीक माना जाता है। यह 10 दिवसीय त्योहार है, जिसके पहले दिन को अथम कहा जाता है, जबकि दूसरे को चिथिरा, तीसरे को चोडी, चौथे को विशाकम, 5वें को अनिजम, 6वें को थ्रीकेट्टा, 7वें को मूलम, 8वें को पूरदम, 9वें को उथ्राडोम और 10वें दिन को थिरुवोणम कहा जाता है। इन 10 दिनों का अपना अलग महत्व है तो आइए इनके बारे में जानते हैं।

#1, #2

अथम और चिथिरा 

अथम के दिन केरल के लोग सुबह जल्दी स्नान करके अपने घर के आगे छोटे आकार का पूकलम बनाते हैं और उसमें पीले रंग के फूलों भरते हैं। इसके बाद से हर दिन पूकलम का आकार बढ़ता जाएगा और 10वें दिन तक डिजाइन काफी बड़ा हो जाता है। वहीं चिथिरा पर लोग पूकलम में नारंगी और पीले रंग के फूलों की 2 परते जोड़ते हैं और इसके बीच में राजा महाबली और उनके अंगरक्षकों की मिट्टी की मूर्तियां रखते हैं।

#3, #4

चोडी और विशाकम

चोडी पर पूकलम में फूलों की एक और परत जोड़ी जाती है और इस दिन पर लोग कपड़े और गहने खरीदना शुभ मानते हैं। इस मौके पर महिलाएं कसावु साड़ी पहनती हैं, जबकि पुरुष मुंडू पहनते हैं। चौथा दिन यानी विशाकम त्योहार की दावत का होता है। इस दिन केले के पत्ते पर 11 से 13 पारंपरिक व्यंजन को सजाकर पूजा की जाती है, फिर उसे प्रसाद के तौर पर बांटा जाता है।

#5, #6

अनिजम और थ्रीकेट्टा

5वें दिन यानी अनिजम पर त्योहार की पारंपरिक गतिविध नौकादौड़ होती है, जिसे वल्लमकली के नाम से जाना जाता है। यह नौकादौड़ केरल की पंपा नदी पर होती है और इसमें एक भव्य परेड शामिल होती है। थ्रीकेट्टा के अवसर पर लोग अपने परियजनों को उपहार देने जाते हैं और इस दिन पैतृक घर में जाना शुभ माना जाता है। इसके अतिरिक्त पहले दिन बनाई हुई पूकलम में ताजे फूल डाले जाते हैं।

#7, #8

मूलम और पूरदम

मूलम पर परिवार के सारे सदस्य एक-दूसरे से मिलते हैं और सद्या (दक्षिण भारतीय शाकाहारी व्यंजनों की दावत) तैयार करते हैं। इसके अतिरिक्त पुली काली जैसे विभिन्न पारंपरिक नृत्य का प्रदर्शन होता है। पुरदम पर लोग ओनाथप्पन, पिरामिड शैली में मिट्टी की मूर्तियां बनाई जाती हैं, जो महाबली और वामन का प्रतिनिधित्व करती हैं। फिर मूर्तियों को घर में चारों तरफ घुमाया जाता है। यह परिवार द्वारा महाबली को अपने घर में आने का निमंत्रण देने का तरीका होता है।

#9, #10

उथ्राडोम और थिरुवोणम

उथ्राडोम को राजा महाबली के केरल में आने का दिन माना जाता है। इस दिन केरल में सार्वजनिक अवकाश होता है और पूरे घर को फूलों और दीयों से सजाया जाता है। थिरुवोणम त्योहार का आखिरी दिन होता है, जिस दिन प्रवेश द्वार पर चावल के आटे के घोल से डिजाइन बनाया जाता है और जरूरतमंदों को दान भी दिया जाता है। वहीं शाम के समय आतिशबाजी के साथ जश्न का समापन होता है।